आचार्य दिलीप कृष्ण भारद्वाज की कथा में राम-सीता विवाह प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।

संवाददाता अहमद रज़ा की रिपोर्ट।

सोनभद्र 17 अगस्त 2024 ममुआ (बिच्छी पड़ाव) के डी होटल के सभागार में सप्त दिवसीय 12 अगस्त से 18 अगस्त 24 तक संगीतमयी राम कथा चल रहा है, कथा से पूर्व यजमान के डी होटल के प्रोपराइटर संजय देव पांडेय और उनकी पत्नी ने हवन पूजन किया ! कथा के पांचवें दिन पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव एड पवन कुमार सिंह, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष संजीव कुमार ने सयुक्त रूप साल ओढ़ाकर सम्मान किया तथा अचार्य जी आशीर्वाद लिया !

कथावाचक व्यासपीठ के कथावाचक अचार्य दिलीप कृष्ण भारद्वाज ने श्रीराम-सीता के विवाह की कथा सुनाते कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। उसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा ली कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी राजा- महाराजा को विवाह के लिए निमंत्रण भेजा। वहां आए सभी राजाओं ने एक-एक कर धनुष को उठाने की कोशिश की, लेकिन किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्री राम धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। माता सीता ने जैसे प्रभुराम को वर माला डाली वैसे ही देवतागण उन पर फूलों की वर्षा करने लगे। राम सीता विवाह की सुंदर झांकी निकाली गई !राम और सीता के विवाह में प्रेम की गहराई और विश्वास की ताकत दिखाई देती है, जो उन्हें जीवन की हर परिस्थिति में साथ रखती है। उनका विवाह एक ऐसा आदर्श है, जो हमें प्रेम, समर्पण, और विश्वास के महत्व को सिखाता है।

कथा की समाप्ति के बाद मुख्य यजमान संजय देव पांडेय सपरिवार आरती की।

इस अवसर पर यसमणि पांडेय, राजेश कुमार सिंह,संतोष पाण्डेय, धर्मेंद्र कुमार, श्रीजन कुमार पांडेय, अशोक कुमार कनौजिया, सत्यम शुक्ला उपस्थित रहे !

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