जो बाइडेन की ‘हॉट माइक’ टिप्पणी से चीन को लगेगी बड़ी चोट – जानिए क्या कहा जिसने दुनिया में मचाई हलचल!

हाल ही में अमेरिका में आयोजित क्वाड (QUAD) शिखर सम्मेलन ने वैश्विक राजनीति और कूटनीति के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान आकर्षित किया। इस सम्मेलन में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया। यह सम्मेलन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। हालांकि, इस बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) द्वारा की गई एक टिप्पणी ने खासा ध्यान खींचा, जिसे सुनकर चीन की चिंताएं बढ़ सकती हैं।

क्वाड शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि:

क्वाड, जिसे औपचारिक रूप से ‘चतुर्भुज सुरक्षा संवाद’ के नाम से जाना जाता है, चार देशों – भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक समूह है। इस समूह का गठन एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व और आक्रामक नीतियों के मद्देनजर, क्वाड देशों का सहयोग सुरक्षा और स्थिरता के लिहाज से काफी अहम हो गया है। चीन इस समूह को अपने हितों के खिलाफ मानता है और इसे अपने क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव को रोकने की कोशिश के रूप में देखता है। इसी कारण से, चीन की नजरें हमेशा इस समूह के कार्यों और बैठकों पर टिकी रहती हैं।

बाइडेन की टिप्पणी जो चीन को चुभ सकती है:

इस शिखर सम्मेलन के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की एक अनौपचारिक टिप्पणी हॉट माइक (यानी बिना उनके जानकारी के माइक चालू रहने पर) पर रिकॉर्ड हो गई, जिसने चीन को लेकर उनकी और अमेरिकी प्रशासन की सोच को उजागर किया। बाइडेन को यह कहते सुना गया, “चीन इस समय क्वाड देशों की परीक्षा ले रहा है।” यह बयान सीधे तौर पर चीन के प्रति अमेरिकी चिंताओं को जाहिर करता है, जो कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये के संदर्भ में था।

बाइडेन ने यह भी कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समय अपने देश की आंतरिक आर्थिक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और वह चीन में अशांति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि शी जिनपिंग अंतरराष्ट्रीय मंच पर आक्रामक नीतियों के जरिए चीन के हितों को और आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। बाइडेन के अनुसार, चीन अपने लिए एक कूटनीतिक स्थान प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति को और मजबूत कर सके।

बाइडेन ने यह भी कहा कि चीन, क्वाड देशों की क्षमता और कूटनीतिक स्थिति को परखने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने इस संदर्भ में आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में चीन की आक्रामकता का जिक्र किया, जिससे पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अस्थिरता का माहौल बन रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूत कूटनीति और ठोस सहयोग की आवश्यकता है।

वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी द्वारा सफाई:

बाइडेन की इस अनौपचारिक टिप्पणी के बाद, एक वरिष्ठ अमेरिकी प्रशासनिक अधिकारी ने इस मुद्दे को हल्का करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि बाइडेन की यह टिप्पणी कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह पहले से ही कही गई बातों के अनुरूप है। अधिकारी ने कहा, “इस टिप्पणी में कुछ भी चौंकाने वाला नहीं है। हमारी आंतरिक और बाहरी नीतियों में समन्वय है, और यह जाहिर करता है कि हम सभी सार्वजनिक और निजी स्तर पर चीन को लेकर एक समान दृष्टिकोण रखते हैं।”

इस सफाई के साथ ही अधिकारी ने यह भी कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं है कि चीन शिखर सम्मेलन के एजेंडे में प्रमुख मुद्दा था, क्योंकि यह एक इंडो-पैसिफिक सम्मेलन था। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की भूमिका महत्वपूर्ण है और इसी कारण से चीन का इस एजेंडे में शामिल होना स्वाभाविक था। हालांकि, अधिकारी ने यह भी कहा कि सम्मेलन में अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई, और चीन अकेला मुद्दा नहीं था।

चीन का क्षेत्रीय विवाद और क्वाड की भूमिका:

चीन लंबे समय से दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों में उलझा हुआ है। दक्षिण चीन सागर में चीन अपनी संप्रभुता का दावा करता है, जबकि वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान जैसे देशों के भी इन जल क्षेत्रों पर अपने-अपने दावे हैं। चीन के इस दावे के कारण क्षेत्रीय तनाव बढ़ता जा रहा है। क्वाड देशों का मानना है कि चीन की आक्रामक नीतियों के कारण हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा खतरे में है। इसी कारण से क्वाड समूह एक स्वतंत्र और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए एकजुट हो रहा है।

क्वाड का महत्व और चीन की चिंता:

चीन हमेशा से क्वाड समूह को एक चुनौती के रूप में देखता रहा है। वह इसे अपने क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभुत्व के लिए खतरा मानता है। चीन का मानना है कि इस समूह का उद्देश्य उसे घेरना और उसके प्रभाव को सीमित करना है। इसीलिए, वह लगातार क्वाड देशों के खिलाफ कूटनीतिक और रणनीतिक प्रयास कर रहा है।

क्वाड का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना, समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना, और सदस्य देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इन लक्ष्यों के चलते यह समूह चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। क्वाड देशों का यह भी मानना है कि चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर एकजुट होकर काम करने की जरूरत है।

समापन:

क्वाड शिखर सम्मेलन में जो बाइडेन की टिप्पणी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चीन की आक्रामक नीतियां और उसके द्वारा किए जा रहे क्षेत्रीय दावे क्वाड देशों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बने हुए हैं। अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्षों ने इस शिखर सम्मेलन के माध्यम से यह संदेश दिया है कि वे एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। साथ ही, यह सम्मेलन इस बात का भी संकेत है कि क्वाड समूह आने वाले समय में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए और अधिक सक्रिय रूप से काम करेगा।

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