न्यूज़लाइन नेटवर्क संवाददाता अमृतपुर
कालांतर में छठी मैया के आशीर्वाद से आदित्य भगवान का अवतार हुआ। आदित्य भगवान ने देवताओं का प्रतिनिधित्व कर देवताओं को असुरों पर विजय श्री दिलाई थी। कालांतर से पुत्र प्राप्ति हेतु छठ पूजा की जाती है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है।छठ पूजा को एक बहुत ही पवित्र त्योहार माना गया है। यह त्योहार सूर्यदेव और षष्ठी माता जिन्हें छठी माता भी कहा जाता है, को समर्पित माना गया है। छठी मैया को संतानों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है।नहाय खाय से छठ पूजा पर्व की शुरुआत मानी जाती है। छठ पूजा की शुरू 17 नवंबर से हो रही है| लेकिन गंगा घाट पर अभी भी गंदगी का अम्बार है|छठ पूजा नहाय खाय के साथ 17 नवम्बर शाम को शुरू हो रही है|18 नवंबर को खरना शाम को होगा|19 नवंबर को सांय काल को अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ दिया जायेगा| इसके बाद 20 नवंबर को प्रातः कालीन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा| जिसके बाद पूजा का समापन होगा| लेकिन छठ पूजा को लेकर अभी तक पांचाल घाट पर गंदगी का अंबार है|