
उत्तर प्रदेश के शिक्षक अब डिजिटल अटेंडेंस के लिए तैयार हैं। राज्य सरकार ने शिक्षकों को डिजिटल माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने के निर्देश दिए हैं, ताकि पारदर्शिता और दक्षता में सुधार हो सके। डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली के तहत, शिक्षक अपने मोबाइल फोन या टैबलेट का उपयोग करके स्कूलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं।
इस नई प्रणाली के तहत, शिक्षकों को अपनी फोटो खींचकर और इसे संबंधित पोर्टल पर अपलोड करके अपनी उपस्थिति प्रमाणित करनी होगी। यह कदम माता-पिता और प्रशासन के बीच विश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिससे कोई भी अनियमितता नहीं हो सके।
इस प्रक्रिया के तहत शिक्षकों को उनकी उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए सेल्फी लेनी होगी और उसे संबंधित पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इस कदम का उद्देश्य शिक्षकों की उपस्थिति को सत्यापित करना और अनुपस्थितियों को रोकना है। यह प्रणाली शिक्षकों की पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बढ़ाने के लिए तैयार की गई है।
उत्तर प्रदेश के शिक्षकों की पीड़ा और मांगें विभिन्न मुद्दों पर आधारित हैं, जो उनके कार्य की स्थिति, वेतन, सुविधाओं, और नई डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली से संबंधित हैं। यहां कुछ प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की गई है:
शिक्षकों की पीड़ा:
1. कम वेतन: कई शिक्षक यह महसूस करते हैं कि उनके वेतनमान उनकी मेहनत और समर्पण के अनुरूप नहीं हैं। वेतन वृद्धि और वेतनमानों में सुधार की मांग एक प्रमुख मुद्दा है।
2. प्रशिक्षण और संसाधनों की कमी: कई शिक्षक उचित प्रशिक्षण और संसाधनों की कमी की शिकायत करते हैं, जिससे उनकी शिक्षण गुणवत्ता प्रभावित होती है।
3. डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली की चुनौतियाँ: ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्याएं और तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण इस नई प्रणाली का उपयोग करना कई शिक्षकों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।
4. अतिरिक्त कार्यभार: शिक्षकों को नियमित शिक्षण कार्य के अलावा अन्य प्रशासनिक कार्य भी सौंपे जाते हैं, जिससे उनका मुख्य कार्य प्रभावित होता है।
5. स्थायित्व और सुरक्षा की कमी: अस्थायी शिक्षकों के लिए स्थायित्व और नौकरी की सुरक्षा का अभाव एक प्रमुख चिंता का विषय है।
शिक्षकों की मांगें:
1. वेतन वृद्धि और नियमितीकरण: शिक्षकों की मांग है कि उनके वेतनमान को बढ़ाया जाए और अस्थायी शिक्षकों को नियमित किया जाए।
2. प्रशिक्षण और विकास: शिक्षकों को उचित प्रशिक्षण और पेशेवर विकास के अवसर प्रदान किए जाएं, जिससे वे अपनी शिक्षण विधियों को सुधार सकें।
3. सुविधाओं में सुधार: स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं जैसे कि पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशालाएं, और डिजिटल संसाधनों का सुधार किया जाए।
4. प्रशासनिक कार्यभार में कमी: शिक्षकों को गैर-शिक्षण कार्यों से मुक्त किया जाए ताकि वे अपने शिक्षण कार्य पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकें।
5. तकनीकी समर्थन: डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली के सुचारू कार्यान्वयन के लिए उचित तकनीकी समर्थन और प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।
निष्कर्ष:
शिक्षकों की पीड़ा और मांगें उनके कार्य की स्थिति और पेशेवर विकास से सीधे संबंधित हैं। राज्य सरकार को शिक्षकों की इन मांगों पर ध्यान देना चाहिए और आवश्यक सुधार करने चाहिए ताकि वे अपने कार्य को प्रभावी ढंग से कर सकें और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो।
इन मुद्दों और मांगों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप संबंधित समाचार लेख और शिक्षकों के संघों के बयानों को देख सकते हैं।