गाजियाबाद ब्यूरो-चीफ / सागर। आखिर हम क्यों सजग नहीं हो रहे?? आखिर हम क्यों नहीं समझ पा रहे कि मौत से भी बदतर हालात हमारे सामने खडे हैं?? दुनिया भर के तमाम सर्वे एजेंसियों का एक ही मत है कि हमारे पास पीने योग्य पानी ना के बराबर बचा है अब इस ही तस्वीर मे जो सर्वे सामने आये हैं वह बेहद चौकाने वाले हैं यानी 2030 तक 40 % भारतियों के पास पीने के लिए पानी नहीं होगा इस से भी भयंकर व गहन चिन्ता का विषय ये है कि केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश के 91 जलाशयों मे मात्र 20% पानी ही बचा है।
जल की कमी एक वैश्विक समस्या है जो अरबों लोगों को प्रभावित करती है और आने वाले दशकों में इसके और भी बदतर होने की उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया की लगभग आधी आबादी साल के कम से कम कुछ समय के लिए गंभीर जल संकट का सामना करती है और लगभग दो अरब लोगों के पास सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है। विश्व वन्यजीव कोष का अनुमान है कि 2025 तक दुनिया की दो-तिहाई आबादी को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।
मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (MENA) दुनिया का सबसे अधिक जल संकट वाला क्षेत्र है, जहाँ दुनिया की 6.3% आबादी के रहने के बावजूद दुनिया के नवीकरणीय ताजे पानी का केवल 1.4% ही उपलब्ध है। भारत को भी जल संकट वाला देश माना जाता है, जहाँ दुनिया की 18% आबादी रहती है लेकिन जल संसाधन केवल 4% ही उपलब्ध हैं।
जल संकट के कई नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं: आर्थिक गिरावट, घातक दस्त रोग, महिलाओं और लड़कियों का पानी ढोने में घंटों लगना और दस्त से बच्चों की मौत।
पृथ्वी की कम से कम 50 प्रतिशत आबादी यानी 4 बिलियन लोग साल में कम से कम एक महीने पानी की कमी से जूझते हैं। 2025 तक, 1.8 बिलियन लोगों को खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा “पूर्ण जल संकट” कहे जाने वाले संकट का सामना करना पड़ सकता है।
मतलब साफ है कि अगर अभी से हमने अपनी- अपनी जिन्दगी अपने-अपने किर्या-कलापों व रोजमर्रा की जिन्दगी मे पानी की एक-एक बून्द को बचाना शुरू नही किया तो वो दिन दूर नहीं जब हम मौत से भी बदतर जिन्दगी जीने को मजबूर होंगे। एक बहुत बड़ी समस्या ये है कि ना तो सरकार की तरफ से पानी को लेकर कोई गंभीर कदम उठाये जा रहे हैं, ना संबन्धित डिपार्टमेंट द्वारा कोई शुरुआत की जा रही है ना ही लोग जागरूक हो रहे हैं और समस्या बहुत विकट व विकराल है मगर इसका असर व त्राहि-त्राहि जब तक नहीं झेलेंगे हम, तब तक शायद पानी की एक-एक बून्द का मेहत्त्व नहीं समझ पाएंगे जरूरत है सरकार व जनता को बहुत गंभीरता से इस सँदर्भ मे एकजुट होकर अपनी जिम्मेदारी समझ कर काम करने व हर एक बून्द कीमती है ये सोच बनाने की, सच तो ये है कि कुछ दिन मे सामने जो हालात आएंगे उसको देखते हुए पानी के लिए ही युद्ध होंगे।