पारसनाथ मंदिर में चल रहा है भक्ति का स्वाध्याय

करतार सिंह पौनिया, ब्यूरो चीफ फिरोजाबाद :

टूण्डला – पारसनाथ मंदिर में चल रहा है भक्ति का स्वाध्याय, बसु- विज्ञा- समिति, प.पू.उपाध्याय श्री विज्ञानंद जी महाराज, मुनि श्री पुण्यानंद जी मुनि श्री धौर्यानंद जी का चातुर्मास बड़े भक्ति भाव से हो रहा है सुबह प्रवचन देते हुए उपाध्याय श्री ने कहा कि यह स्वाध्याय करने से जो कलस्तता से जो पाप बंध आते हैं वो खत्म होते हैं कल्याण का तात्पर्य है आपके बनने मिटने की परम्परा समाप्त हो जाय जार एक बार मिट जाएं तो दुबारा नहीं जुड़ सकता है, जिसके श्रावक को संसार के दुःख का अहसास हो गया जो भगवान कि प्रतिदिन भक्ति करता है अभिषेक करता है यदि संसार में दुःख न हो जन्म के बाद मृत्यु न हो अमीरी के बाद गरीब न हो संकट होगा तब भगवान याद आते हैं श्रावक को पता है हमारे दुःख का इलाज धर्म में ही है, मिथ्या दर्शन मिथ्याज्ञान, मिथ्या चारित्र आपके मरण का कारण है सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान सम्यक चारित्र यही धर्म है सच्चे देवशास्त्र गुरू पर श्रद्धान करो, परमार्थ के मार्ग पर विस्वास मन में दृढ़ निश्चय होना चाहिए, आचार्य समंतभद्र स्वामि ने हमें सच्चे देव से परिचय कराया जिसके पास किसी का दोष नही है वो राग द्वेष से रहित है, सुतंग पातंग रागी को लगते हैं बैरागी वीतरागी को नहीं लगते हैं, निर्दोष का लक्षण क्या हैं, जिनदेव को हमे सुख पाने का मार्ग मान लिया है उस देव को जानना अति आवश्यक है उसके विरोधी तत्व कुदेव है जो हिंसा की वृद्धि करने वाले हैं जब तक सच्चे देव और कुदेवः के बारे में पता नहि होगा तब तक अंधविश्वास में फसे रहेंगे, है भगवान हम आपकी वंदना इसलिए कर रहे हैं कि आप वीतरागी है, आप धरती के भगवान बनना चाहते तो निश्वार्थ किसी दुखी प्राणी का दुख तो दूर करो बिना स्वार्थ के हम जब किसी का सहयोग करते हैं उसके कष्टों को दूर करने में सहायक बनते हैं तो यही मार्ग आपको धर्म के मार्ग पर प्रशस्त करते हैं,परम पद पांच होते हैं, धर्म अरिहंत, सिद्ध,आचार्य, साधू, परमेष्ठि, परम् केवल ज्ञान ज्योति होना अतिआवस्यक है जिस ज्योति के आने से चेतन बस्तुए, मोहिनीकरण के माध्यम से सुख की प्राप्ति होती है हमारे दुखो का कारण अज्ञान हैं जैसे ही प्राणी में ज्ञान का आगमन होने लगता है सुख की अनुभूति अपने आप होने लगती है, पुण्य का उदय होगा तो सब अपने लगेगे अगर जीवन में पाप का उदय है सब पराए लगेगे , सुख को अनुभव करने के लिए ज्ञान आवश्यक है, अगर आप ज्ञानी नही है तो आप अपने घर में पैसे का भी उपयोग नहीं कर सकते हो क्युकी आप अज्ञानता में हो जितनी आपके जीवन में कषाय आ रही है वो अज्ञानता है, हमारे देव परमेष्ठी है वीतरागी हो ज्ञानी हो उसे ही देव मानो अज्ञानता में अज्ञानी के देव कुदेव को न माने , वीतरागी देव ही आपके पापो का क्षय कर सकता है, एक बार आपने मिथ्याथ का दर्शन कर लिया है तो पाप कर्म का उदय होता है, तीन कर्म द्रव्य भाव, नो कर्म से रहित है वो देव है, वीतरागी भगवान सब कर्मों से रहित है, सामायक क्या है हमें कुछ समय के हाथ पर हाथ रखकर एकांत में खो जाओ कोन आ रहा कोन जा रहा है इस जीवन यात्रा में किसको दुख हो रहा है किसको सुख हो रहा है इन सबसे विमुख होकर भगवान की भक्ति में लीन हो जाना यही सामायक है भगवान सर्वज्ञ है भगवान सब देख रहा है, जब कभी आप कभी गलत काम या पाप करने जाते हैं तो आत्मा से पहली आवाज आती है कि यह गलत है पर हम कषाय के कारण उसे अनुशुना कर देते हैं आत्मा हमेशा शुद्ध होती है इसे धर्म के माध्यम से और निर्मल बनाया जा सकता है, साधक सभी जीवों का हित करने वाला होना चाहिए, रागी व्यक्ति किसी किसी की मदद कर सकता है पर वीतरागी जीव सभी का भला चाहता है, भगवान कुछ करता नहि है पर भगवान के बिना भी कुछ नहीं हो सकता है जैसे वृक्ष बिना मांगे छाया देता है, जिस आत्मा का बिना प्रयोजन के बिना स्वार्थ के बिना राग के सज्जनों का हित करता है जो भगवान शाश्वत उपदेश देकर सज्जन व्यक्तियों का हित करता है, जो साधु है सज्जन है सुशील नही है जिन्हे संसार के दुखो से भयभीत है उसका भगवान भी हित करते हैं भला करते हैं, भगवान का उपदेश दिन में चार बार होता है, सुबह शाम दोपहर और रात्रि, जो समाय आपका सामायक का समय है वो ही असल में भगवान की भक्ति का समय है, इस मौके पर चातुर्मास कमेटी अध्यक्ष बसन्त जैन, कमलेश जैन कोल्ड, अनिल जैन राजू, जिग्नेश जैन, विनोद जैन नरेंद्र जैन, विमलेश जैन, अनिल जैंडल, कुलदीप जैन, अभिषेक जैन शास्त्री, दिनेश जैन, सुमन गुरुजी, गोपाल जैन प्रिंस जैन, क्षेत्रीय सह संयोजक भाजपा अल्प संख्यक मोर्चा सचिन जैन, सुमित जैन आशु जैन, अंकित जैन, सम्यक जैन, निखिल जैन सतेंद्र जैन, समस्त जैन समाज मौजूद रहा।

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