घर वाले उसे ढूंढ रहे थे, लेकिन मन के किसी कोने में यह डर भी था कि शायद अब वह इस दुनिया में नहीं है। उसे गायब हुए कई साल बीत चुके थे। कुछ घंटे पहले जब पिता को उसके बारे में खबर मिली, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यह कहानी है भारत और बांग्लादेश की सीमा की, जिसके बारे में आजकल खूब चर्चा हो रही है। हालांकि, यह मामला कुछ अलग है।
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में पेत्रापोल सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण है। बांग्लादेश में चल रहे राजनीतिक संकट के कारण सीमा के दोनों तरफ हलचल है और लोग वहां जमा हो रहे हैं। कुछ दिन पहले, स्थानीय लोगों ने पेत्रापोल बाजार के पास एक पेड़ के नीचे गीली मिट्टी में लकड़ी से किसी को गणित के सवाल हल करते देखा।
उस व्यक्ति के कपड़े गंदे थे और उसकी उम्र लगभग 35-40 साल के बीच लग रही थी। स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। जांच में पता चला कि उस व्यक्ति की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। वह व्यक्ति उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले गणित शिक्षक अमित कुमार प्रसाद थे, जो कई सालों से लापता थे।
पिता की भावनाएं उमड़ीं
स्थानीय पुलिस ने हम रेडियो के लोगों की मदद से अमित कुमार प्रसाद को उनके परिवार से मिलवाया। उनके पिता गामा प्रसाद, गोरखपुर से अपने रिश्तेदारों को लेकर पेत्रापोल थाने पहुंचे। अपने बेटे को देखते ही उनकी आंखों से आंसू बह निकले।
परिवार के सदस्यों ने बताया कि प्रसाद के लापता होने से पहले, वह कई सालों तक अपने गृह नगर के एक स्कूल में गणित पढ़ाते थे। गामा प्रसाद ने कहा, “स्कूल में पढ़ाने के अलावा, मेरे बेटे ने कम से कम पांच पड़ोसी गांवों के 250 से अधिक गरीब बच्चों को मुफ्त में गणित सिखाया। उसे बचपन से ही गणित का बहुत शौक था और उसने बहुत जल्दी पढ़ाना शुरू कर दिया था। बाद में, वह मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो गया और अचानक लापता हो गया। हमने उसे बहुत खोजा, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।”
हम रेडियो के परिमल रॉय ने मीडिया को बताया, “स्थानीय लोगों ने उन्हें गीली मिट्टी पर गणित के फॉर्मूले लिखते और समीकरण हल करते देखा। जब उनसे पहचान पूछी गई, तो कोई जवाब नहीं मिला। और आगे पूछने पर उन्होंने हिंदी में कहा, ‘मुझे अकेला छोड़ दीजिए, मुझे गणित हल करना है।’ इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। अब, इस गणित शिक्षक के घर में खुशी का माहौल है।”