“रतलाम में गणेश जुलूस के दौरान भड़की हिंसा, आंसू गैस और तोड़फोड़ से मचा हड़कंप!”

मध्य प्रदेश के रतलाम में शनिवार, 7 सितंबर की रात को एक गंभीर घटना घटित हुई, जब गणेश स्थापना जुलूस के दौरान पत्थरबाजी हुई। यह घटना शहर के मोचीपुरा क्षेत्र में हुई, जहां दो पक्षों के बीच विवाद शुरू हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि एक युवक ने जुलूस में चल रहे दूसरे युवक पर अचानक पत्थर फेंक दिया। पत्थर लगते ही जुलूस में अफरा-तफरी मच गई और स्थिति तनावपूर्ण हो गई। इसके बाद, जुलूस में शामिल लोग दोबत्ती थाने की ओर बढ़े, जहां बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए और नारेबाजी शुरू कर दी।

थाने पर हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं और जुलूस में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि पत्थर फेंकने वाले युवक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। वे थाने के बाहर जमकर प्रदर्शन करने लगे और आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की। इस तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए पुलिस ने हालात को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

मोचीपुरा में तनाव और तोड़फोड़

पत्थरबाजी की यह घटना रतलाम के मोचीपुरा इलाके में हुई, जो कि अल्पसंख्यक समुदाय का बहुल इलाका है। गणेश मूर्ति स्थापना के दौरान अचानक हुई पत्थरबाजी से माहौल और भी ज्यादा तनावपूर्ण हो गया। इसके बाद हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता और जुलूस में शामिल लोग आक्रोशित होकर थाने पहुंचे और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए अपना विरोध जताया।

तनाव इतना बढ़ गया कि मोचीपुरा इलाके में लोगों की भीड़ उग्र हो गई और उन्होंने कई मोटरसाइकिलों में तोड़फोड़ की। सड़क पर कई मोटरसाइकिलें गिराई गईं और इलाके में हंगामा मच गया। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को दोबत्ती चौराहे और छतरीपुर क्षेत्र में आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। इस बीच, पुलिस ने स्थिति को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन उग्र भीड़ ने इलाके में काफी हंगामा किया, जिससे कुछ समय के लिए माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई

रतलाम के एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने रात करीब एक बजे मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और पत्थरबाजी की घटना के तुरंत बाद कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि जैसे ही विवाद की सूचना मिली, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मामले को शांत कराया। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और भीड़ को शांत किया गया।

एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि पत्थरबाजी से नाराज एक पक्ष ने थाने का घेराव किया और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की, जिसमें एक युवक पत्थर फेंकता हुआ नजर आया। उस युवक को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।

अब सुरक्षा के मद्देनजर शहर के विभिन्न इलाकों में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, ताकि कोई भी अप्रिय घटना न हो और स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में रहे। पुलिस का कहना है कि फिलहाल स्थिति काबू में है, लेकिन एहतियात के तौर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

हिंदू संगठनों की प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद हिंदू संगठनों ने पुलिस से मांग की कि पत्थरबाजी करने वाले दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। हिंदू जागरण मंच के प्रमुख सदस्य राजेश कटारिया ने बताया कि पथराव की इस घटना में कुछ लोगों को चोटें आई हैं, और उन्होंने पुलिस से दोषियों को तुरंत सजा दिलाने की मांग की है।

बीजेपी नेता निर्मल कटारिया ने इस घटना को पूरी तरह से निंदनीय करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं समाज में विभाजन और अशांति फैलाने का काम करती हैं, और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

प्रदर्शन और नारेबाजी

इस घटना के बाद, स्टेशन रोड पर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। लोग लगातार पुलिस से मांग कर रहे थे कि पत्थरबाजी करने वाले आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। भीड़ धीरे-धीरे मोचीपुरा की ओर बढ़ने लगी, जिसके चलते पुलिस को और अधिक सतर्क रहना पड़ा।

स्थिति बिगड़ने से पहले, पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। इस दौरान एक पुलिस वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गया। पुलिस ने बताया कि मोचीपुरा क्षेत्र अल्पसंख्यक बहुल इलाका है, और इसी कारण स्थिति और भी ज्यादा तनावपूर्ण हो गई थी। पुलिस अब स्थिति को पूरी तरह नियंत्रित करने के लिए इलाके में लगातार गश्त कर रही है और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

रतलाम की यह घटना एक संवेदनशील मुद्दा बन गई है, जहां दो समुदायों के बीच का तनाव बढ़ गया है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पत्थरबाजी करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और स्थिति को काबू में किया है। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक जुलूसों के दौरान सुरक्षा और आपसी सद्भाव के महत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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