क्या भारत में पेट्रोल 75 रुपये और डीजल 67 रुपये तक आ सकता है? सरकार कीमतों में कटौती पर गंभीरता से कर रही है विचार
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें हमेशा से एक अहम मुद्दा रही हैं, खासकर तब जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में बदलाव आता है। हाल ही में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली है, जिसने ईंधन की कीमतों में संभावित कटौती की उम्मीद को और भी मजबूत कर दिया है। पहली बार 2021 के बाद कच्चा तेल 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है। यह गिरावट भारतीय उपभोक्ताओं के लिए संभावित राहत का संकेत मानी जा रही है, क्योंकि इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतें घट सकती हैं।
वर्तमान स्थिति
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले कुछ समय से स्थिर बनी हुई थीं, बावजूद इसके कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में उतार-चढ़ाव होते रहे। हालांकि, हाल के हफ्तों में क्रूड ऑयल की कीमतों में आई इस बड़ी गिरावट ने सरकार और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को कीमतों की समीक्षा करने पर मजबूर कर दिया है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था और आम जनता की जेब पर भारी असर डालती हैं, खासकर तब जब महंगाई दर पहले से ही ऊंची हो।
सरकार का रुख
12 सितंबर को पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसने जनता की उम्मीदों को और भी बढ़ा दिया। उन्होंने संकेत दिया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हालिया गिरावट के चलते भारत की ऑयल मार्केटिंग कंपनियां ईंधन की कीमतों को घटाने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं। यह बयान तब आया जब क्रूड ऑयल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ चुकी हैं, और यह पिछले दो सालों में सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है।
क्या हो सकती है संभावित कीमतें?
विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें इसी स्तर पर बनी रहती हैं, तो भारत में पेट्रोल की कीमत 75 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 67 रुपये प्रति लीटर तक आ सकती है। हालांकि, यह पूरी तरह से सरकार की कर नीति और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के निर्णयों पर निर्भर करेगा। वर्तमान में, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में शामिल भारी टैक्स और अन्य शुल्कों के कारण उपभोक्ताओं को कच्चे तेल की गिरती कीमतों का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
कर संरचना और अन्य कारक
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में करों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर विभिन्न कर लगाती हैं, जिनमें केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य का वैट शामिल होता है। इसलिए, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का सीधा असर उपभोक्ताओं तक पहुंचाने से पहले, सरकार को कर ढांचे की भी समीक्षा करनी होगी। अगर सरकार करों में कटौती करने का निर्णय लेती है, तो उपभोक्ताओं को और भी बड़ी राहत मिल सकती है।
कीमतों में कटौती की उम्मीदें
इस समय, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों और सरकार दोनों ही इस पर गहन विचार कर रहे हैं कि कीमतों में कटौती कब और कितनी की जा सकती है। पंकज जैन के बयान के बाद यह साफ हो गया है कि ईंधन की कीमतों में गिरावट की संभावनाएं वास्तविक हैं। हालांकि, निर्णय में देरी का एक बड़ा कारण यह है कि कंपनियां और सरकार क्रूड ऑयल की कीमतों के स्थिर होने का इंतजार कर रही हैं, ताकि किसी भी जल्दबाजी में निर्णय न लिया जाए।
अगर कीमतों में कटौती होती है, तो यह भारतीय जनता के लिए एक बड़ी राहत होगी, खासकर उन लोगों के लिए जो रोजमर्रा के जीवन में ईंधन पर निर्भर रहते हैं।