न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट

सिंगरौली/ मध्य प्रदेश। नगर परिषद सरई एवं बरगवां के दफ्तर में स्टाफ का भारी टोटा है। दोनों दफ्तर बैसाखी के सहारे चल रहे हैं। जहां नगर परिषद क्षेत्र के कामकाज पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है। नगर परिषद में स्टाफ के पूर्ति के लिए कोई सार्थक प्रयास नही किये जा रहे हैं। जिससे वार्डो में समस्याओं का अम्बार भी लगा हुआ है। दरअसल नगर परिषद सरई एवं बरगवां का गठन करीब तीन साल पहले हुआ था। जहां लोगों में इस बात की खुशी थी कि नगर परिषद बरगवां एवं सरई का विकास कार्य तेजी से होगा। लेकिन क्षेत्रीय लोगों के मंशा के ठीक विपरित हो रहा है। आलम यह है कि नगर परिषद सरई एवं बरगवां ने इंजीनियर से लेकर लिपिक भी स्थाई तौर पर नियुक्त नही हैं। दोनों दफ्तर बैसाखी के सहारे चल रहे हैं। यहां तक कि नगर परिषद बरगवां में सीएमओ भी नही है और सीएमओ बरगवां का प्रभार सरई नगर परिषद के सीएमओ के पास है। इतना ही नही दोनों नगर परिषद में इंजीनियर भी नही हैं। आउट सोर्स पर इंजीनियर नियुक्त किये गये हैं। मजे की बात है कि एक नही इंजीनियर से दोनों परिषद के कामकाज लिये जा रहे हैं। यही हाल लिपिक का है। बरगवां नगर परिषद लिपिक को सरई नगर परिषद का भी अतिरिक्त प्रभार सौपा गया है। इसके अलावा अन्य कई पद खाली है। आरोप है कि जनप्रतिनिधियों के द्वारा रिक्त पदों के नियुक्ति के लिए कोई सार्थक प्रयास भी नही किये जा रहे हैं। जिसके कारण यहां के अधिकांश कामकाज काफी प्रभावित हैं। यहां रिक्त पदों की पूर्ति कब होगी इसका कोई जवाब भी उच्च स्तर से नही मिल रहा है।
एक महीने का काम साल भर में आलम यह है कि स्थाई सब इंजीनियर एवं अन्य स्टाफ न होने से नगर परिषद सरई एवं बरगवां के निर्माण कार्य सहित अन्य कामकाज प्रभावित है। बताया जाता है कि जो कार्य एक महीने के अंदर पूर्ण होना चाहिए, स्टाफ के अभाव में एक साल से अधिक कामकाज को निपटाने में लग रहा है। यह समस्या नगर परिषद के गठन के बाद से ही बनी हुई है। जिसके कारण उक्त दोनों नगर परिषद की व्यवस्थाएं भी बेपटरी पर है। यह बात किसी को छुपी भी नही है।