राममंदिर उद्घाटन पर तिरुपति मंदिर से 1 लाख लड्डू भेजे गए थे, जानिए कैसे मचा देशभर में हड़कंप

तिरुपति मंदिर के प्रसिद्ध लड्डुओं में जानवरों की चर्बी और अन्य अनैतिक सामग्री के इस्तेमाल को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर एक और बड़ा खुलासा सामने आया है, जिससे यह मामला और गर्मा गया है। हाल ही में आरएसएस के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें दावा किया गया है कि तिरुपति तिरुमाला मंदिर से अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर 1 लाख लड्डू भेजे गए थे। इन लड्डुओं को अयोध्या में राम मंदिर में पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में भक्तों के बीच वितरित किया गया था।

तिरुपति के लड्डुओं में मिलावट का आरोप

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब आरोप लगे कि तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा तैयार किए गए लड्डुओं में जानवरों की चर्बी, सुअर की चर्बी और मछली का तेल मिलाया गया था। यह आरोप गंभीर इसलिए है क्योंकि तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डू हिंदू धर्म के भक्तों के लिए अत्यधिक पवित्र माने जाते हैं, और किसी भी प्रकार की मिलावट का होना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है।

लैब रिपोर्ट का चौंकाने वाला खुलासा

टीडीपी (तेलुगु देशम पार्टी) के प्रवक्ता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने दावा किया कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम द्वारा भेजे गए घी के नमूनों की जांच की गई थी, जिसमें मिलावट की पुष्टि हुई है। यह जांच गुजरात की एक पशुधन प्रयोगशाला में की गई थी, जिसमें घी के नमूनों में “पशु की चर्बी”, “लार्ड” (जो सूअर की चर्बी होती है) और मछली के तेल की मौजूदगी का दावा किया गया। यह नमूने 9 जुलाई, 2024 को लिए गए थे और 16 जुलाई, 2024 को जारी हुई लैब रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई।

आंध्र प्रदेश सरकार और टीटीडी की प्रतिक्रिया

तिरुपति मंदिर का प्रबंधन आंध्र प्रदेश सरकार या तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा किया जाता है। हालांकि, इस मुद्दे पर आंध्र प्रदेश सरकार या टीटीडी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लैब रिपोर्ट के तथ्यों पर अभी तक सरकार या मंदिर प्रबंधन की ओर से कोई पुष्टि या खंडन नहीं किया गया है, जिससे विवाद और भी ज्यादा गंभीर हो गया है।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

इस मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। टीडीपी नेता और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और उनकी पार्टी ने इस मामले को लेकर जगनमोहन रेड्डी की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि इस प्रकार की मिलावट और अनैतिक सामग्री का उपयोग उनके कार्यकाल में हुआ। टीडीपी के नेताओं का यह भी कहना है कि यह मुद्दा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है, और इससे करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

वाईएसआरसीपी (वाईएस जगनमोहन रेड्डी की पार्टी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य वाई.वी. सुब्बा रेड्डी ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि इस प्रकार के आरोपों से मंदिर की पवित्रता और वहां की परंपराओं को अपमानित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू और उनकी पार्टी द्वारा लगाए गए आरोप तिरुपति मंदिर और इसके भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं, और इन बयानों से देवता की पवित्र छवि को धूमिल किया जा रहा है।

भक्तों में नाराजगी और धार्मिक असंतोष

तिरुपति मंदिर से जुड़े इस विवाद ने आम जनता और भक्तों में भी नाराजगी पैदा कर दी है। तिरुपति के लड्डू न केवल एक प्रसाद के रूप में देखे जाते हैं, बल्कि उन्हें अत्यधिक पवित्र और धार्मिक महत्व का माना जाता है। ऐसी किसी भी प्रकार की मिलावट या अनैतिक सामग्री का आरोप भक्तों की भावनाओं को गहरी चोट पहुंचा सकता है। कई धार्मिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है और सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में मिलावट का मामला धार्मिक और राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है। इस मुद्दे पर सरकार, टीटीडी और राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। भक्तों की भावनाओं और मंदिर की पवित्रता को देखते हुए, इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है। अब देखना यह है कि सरकार और मंदिर प्रबंधन इस विवाद का समाधान कैसे निकालते हैं और इस धार्मिक विवाद को कैसे शांत करते हैं।

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