तिरुपति के प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं में जानवरों की चर्बी मिलने का विवाद गहरा गया है। इस मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने इस विवाद पर शुक्रवार को बयान जारी करते हुए कहा कि मंदिर में घी की आपूर्ति करने वाले सप्लायर्स ने मंदिर में मौजूद आंतरिक मिलावट जांच सुविधाओं की कमी का फायदा उठाया और बाहरी जांच सुविधाओं का भी उपयोग नहीं किया।
टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामल राव ने जानकारी दी कि घी के नमूनों की लैब में जांच के बाद उनमें जानवरों की चर्बी और लार्ड (सुअर की चर्बी) का मिलना साबित हुआ है। यह खुलासा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा लड्डुओं में पशु चर्बी के इस्तेमाल का आरोप लगाने के बाद हुआ।
राव ने आगे कहा कि घी की गुणवत्ता में कमी आंतरिक जांच लैब के न होने और नमूनों को बाहरी लैब में भेजने की आवश्यकता के कारण आई है। साथ ही उन्होंने बताया कि घी की आपूर्ति करने वालों ने इन खामियों का जमकर फायदा उठाया। टीटीडी इस ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर की देखरेख करता है, जो हर साल लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है।
घी के नमूने लैब में भेजे गए
राव ने बताया कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पहले ही इस मामले में शिकायत कर चुके थे कि लड्डुओं में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके बाद खराब गुणवत्ता वाला घी सप्लाई करने वाले सप्लायर्स को चेतावनी दी गई थी। चार ट्रकों से भेजे गए घी के नमूने जांच के लिए लैब में भेजे गए, और जांच में सुअर की चर्बी मिलने की पुष्टि हुई।
उन्होंने कहा, “चारों नमूनों के परिणाम एक जैसे थे, जिसके बाद तुरंत सप्लाई रोक दी गई। संबंधित ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने के साथ ही उस पर जुर्माना लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और कानूनी कार्यवाही भी जल्द की जाएगी।”
सप्लायर्स का दावा
वहीं, चेन्नई में तिरुपति बालाजी मंदिर को घी सप्लाई करने वाली कंपनी ‘आर डेरी’ ने कहा कि उनके उत्पादों को गुणवत्ता जांच में मंजूरी मिली थी। कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि जून और जुलाई के दौरान ही उन्होंने मंदिर को घी की सप्लाई की थी और घी की सप्लाई के समय गुणवत्ता प्रमाण पत्र भी जमा किए गए थे। प्रवक्ता ने कहा कि उनकी कंपनी अब मंदिर को घी की सप्लाई नहीं कर रही है।
मुख्यमंत्री का बयान
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इस मामले में कहा कि पिछली सरकार ने सस्ता घी खरीदने के लिए मिलावटी घी का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि जब बाजार में घी की कीमत 500 रुपये प्रति किलो थी, तब पिछली सरकार ने मात्र 320 रुपये प्रति किलो की दर से घटिया घी खरीदा। नायडू ने कहा कि अब तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम को घी की सप्लाई के लिए कर्नाटक के नंदिनी ब्रांड से घी खरीदा जा रहा है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
वाईएसआरसीपी के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने इस मुद्दे पर कहा, “मैं इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख रहा हूं। मैं उन्हें बताऊंगा कि कैसे चंद्रबाबू नायडू ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों की जानी चाहिए।” रेड्डी ने कहा कि टेंडर प्रक्रिया हर छह महीने में होती है और गुणवत्ता मानदंडों का दशकों से पालन किया जा रहा है।
पवन कल्याण की प्रतिक्रिया
इस बीच, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने कहा कि वह तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी पाए जाने की घटना से ‘बेहद परेशान’ हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि मंदिरों से जुड़े मामलों पर विचार करने के लिए एक ‘सनातन राष्ट्रीय बोर्ड’ का गठन किया जाना चाहिए। पवन कल्याण ने यह भी कहा कि राज्य सरकार मिलावटी लड्डुओं के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।