एजाज़ अहमद ब्यूरो चीफ न्यूज लाईन नेटवर्क भदोही।
प्रथम दृश्य
मुसलमानो की पस्ती के मुख्य कारण तथा मुस्लिम बाहुल्य समाज की आर्थिक स्थिति दयनीय होने के बारे में एक नजर निम्नवत दर्शाए जा रहे है:
मुस्लिम समाज का अशिक्षित होना ही इसका मुख्य स्रोत है। इस्लामिक तारीख के अनुसार इस्लाम धर्म में हर इंसान को अच्छी तालीम ( शिक्षा) को पूर्ण रूप से ग्रहण करना अनिवार्य बताया गया है। शिक्षित व्यक्ति अपने धर्म और समाज को पूर्ण रूप से विकास करने में सक्षम होता है शिक्षित व्यक्ति के समझने की शक्ति और निर्णय लेने में और अशिक्षित व्यक्ती के सोचने समझने की शक्ति में काफी फ़र्क महसूस किया गया है। शिक्षित व्यक्ति अंधविश्वास पुरानी चली आ रही सूनी सुनाई प्रथाओं और रूढ़ियों से बचता बचाता है, जबकि अशिक्षित व्यक्ति इस अंधविश्वास में और पुरानी प्रथाओं और स्मृतियों के स्वरूप के अनुसार अपना जीवन यापन करता है।
इस्लाम धर्म के श्रोत इस्लाम धर्म में आसमानी किताब कुरान पर हर मुस्लिम को जीवन यापन करने का आदेश ईश्वरीय प्रदत्त है। कुरान ईश्वरीय वरदान है इस धरती पर रहने वालों के लिए, कुरान को ईश्वरीय आदेश का दर्जा प्राप्त है।
इस्लाम के आखरी नबी जिन्हे रसूल का खिताब प्राप्त है जिन्हे लोग इस पूरे कायनात में हजरत मोहम्मद मुस्तफा स० के नाम से जानते है। मुहम्मद साहब को हजरत जिब्राईल अ० के जरिए अल्लाह ने दीनी तालीम यानी कुरान के जरिए अल्लाह ने अपनी पहचान कराई है और आने वाली पीढ़ियों और नस्लों तक इस आसमानी किताब यानी कुरान की बातों पर अमल करने पर बल दिया है अर्थात कयामत तक इस्लाम के मुख्य स्रोत है।कुरान, हदीस, इज़मा, कयास जिन्हे इस्लाम धर्म मुख्य स्रोत एवम इस्लाम का स्वरूप माना गया है।
उक्त निम्नलिखित इस्लामिक धार्मिक ग्रन्थों से सारी कायनात में बसने वाले सारे इंसानो को बेहतरीन और सफल जीवन यापन के संबंध में व्याख्या की गई है।
उक्त ग्रंथो में सारी इंसानियत के जिंदगी के जीने के तरीके और सलीके का पूरा पूरा उल्लेख मिलता है।
मुस्लिम आध्यात्मिक शास्त्रों के अनुसार जो बातें कुरान से समझ में ना आए तो नबी मोहम्मद मुस्तफा स० के द्वारा दिए गए प्रवचनों से नबी मुहम्मद साहब के द्वारा उनके विचारों से नबी मुहम्मद साहब के द्वारा उनके खुद के आचरण से जीवन यापन करने का आदेश मुस्लिम समाज को आदेश दिया गया है।
मुस्लिम धार्मिक समुदाय को समझने के लिए समझाने के लिए इस्लाम धर्म की मुख्य ग्रंथ कुरान के इलावा हदीस से और उसके इलावा इज़मा अर्थात मोहम्मद साहब के साथ रहने वालों से जिन्हे (सहाबा ) कहते है, उनसे और वहां से कोई बात न मिले तो कयास से जो धार्मिक गुरु के द्वारा अल्लाह और उसके रसूल को गवाही में मानकर स्वच्छ मन से इस्लामिक धार्मिक फायदे के मद्दे नजर लिए गए फैसलों को (कयास )कहते है। इस्लाम धर्म में आस्था रखते है उन लोगों को ये आदेश प्राप्त है।
मुस्लिमों का पतन होने का रास्ता, अशिक्षित होने से खुलता है।
अशिक्षित मुस्लिम समाज अन्धविश्वास में डूब कर अपनी आर्थिक मानसिक स्थिति को छतिग्रस्त कर अपने पुरखों के बताए हुए पुरानी परंपराओं पुरानी रीति रिवाजों और रूढ़ियों पर आधारित अशिक्षित धार्मिक गुरुओं की बातों में पड़कर अपनी और अपने परिवार की यहां तक की मुस्लिम समाज को बदनाम और बर्बाद करने का पूरा श्रेय उसी को जाता है, जो बिना इस्लामिक मुख्य ग्रंथ आसमानी किताब कूरानो हदीस छोड़ कर फैसले लेता है, उसकी ताजा तरीन मिशाल यों है की मस्जिद में ताजिया को रखना और उस ताजिया की शक्ल मक्का और मदीना शरीफ में होना और कुछ अर्शों के अंतराल में उसको अपने ही हाथों से तोड़ देना इतनी बड़ी खामी मुस्लिम धर्म में देखने को मिल रही है।