दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के बंगले को लेकर चल रहे राजनीतिक विवाद पर अब विराम लगने की संभावना है। हाल ही में, पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) ने जिस बंगले को दो दिन पहले सील कर दिया था और आतिशी का सामान वापस भेज दिया था, अब वही बंगला औपचारिक रूप से उन्हें आवंटित कर दिया गया है। पीडब्ल्यूडी ने आतिशी को एक ऑफर लेटर जारी किया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि उन्हें जनरल पूल के तहत सिविल लाइंस में 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित सरकारी आवास आवंटित किया गया है।
सरकारी बंगला आवंटन की प्रक्रिया
सरकारी बंगला आवंटन और खाली करने की प्रक्रिया अत्यधिक संवेदनशील और महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। खासतौर पर मुख्यमंत्री आवास का मामला हो तो इस प्रक्रिया में कई चरण होते हैं। जब कोई सरकारी बंगला खाली किया जाता है, तो सबसे पहले उसमें मौजूद सभी सरकारी सामान की एक सूची तैयार की जाती है। इस सूची को संबंधित अधिकारी जांचते हैं और प्रमाणित करते हैं कि वहां से कोई सरकारी सामान गायब नहीं है या क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है।
इसके बाद, सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) बिजली, पानी और अन्य उपयोगिताओं से संबंधित बकाया राशि की जांच करता है और यदि कोई बकाया नहीं होता, तो वह एक ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ जारी करता है। यह प्रमाणपत्र पुष्टि करता है कि जिस व्यक्ति ने सरकारी बंगला इस्तेमाल किया था, उसका कोई बकाया नहीं है।
इसके बाद, आवास की चाबी संबंधित विभाग को सौंपी जाती है, जो फिर बंगले का निरीक्षण करता है और पुष्टि करता है कि बंगला खाली हो चुका है। अंतिम रूप से, जब बंगला पूरी तरह से खाली हो जाता है और संबंधित रिपोर्ट तैयार हो जाती है, तो उस बंगले को नए आवासीय व्यक्ति को आवंटित किया जाता है, जो सरकारी प्रक्रिया के अनुसार होता है।
विवाद के मुख्य बिंदु
- बंगले की सीलिंग और विवाद का आरंभ: मुख्यमंत्री आवास से जुड़ा यह विवाद तब शुरू हुआ जब पीडब्ल्यूडी ने बंगले को खाली कराकर उसे अपने कब्जे में लिया और बाद में सील कर दिया। इस कार्रवाई के दौरान मुख्यमंत्री आतिशी का सारा सामान वापस भेज दिया गया था, जिससे मामला और पेचीदा हो गया।
- विशेष सचिव को नोटिस: इस मामले में सतर्कता विभाग ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विशेष सचिव प्रवेश रंजन झा और तीन अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया, जिसमें उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। इन अधिकारियों से यह पूछा गया है कि बंगले के उपयोग और आवंटन से जुड़े प्रोटोकॉल का सही पालन क्यों नहीं हुआ।
- आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया: इस पूरे घटनाक्रम पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने कड़ी नाराजगी जताई। पार्टी ने आरोप लगाया कि यह एक राजनीतिक चाल थी ताकि मुख्यमंत्री आतिशी के बंगले से संबंधित विवाद को बढ़ाया जा सके। हालांकि, विपक्ष ने इस कदम का समर्थन किया और इसे उचित ठहराया, जिससे दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
- अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा और बंगले का खाली होना: अरविंद केजरीवाल ने 21 सितंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के बाद, उन्होंने सिविल लाइंस स्थित 6 फ्लैग स्टाफ रोड का बंगला खाली कर दिया था। अक्टूबर में उन्होंने अपने इस सरकारी आवास को पूरी तरह से छोड़ दिया था।
- 7 अक्टूबर को शिफ्टिंग का दावा: दिल्ली सरकार ने 7 अक्टूबर को दावा किया था कि मुख्यमंत्री आतिशी ने 6 फ्लैग स्टाफ रोड के बंगले में शिफ्ट कर लिया है। हालांकि, इस दावे पर विवाद हुआ क्योंकि बंगला अभी औपचारिक रूप से आवंटित नहीं हुआ था।
- राजनिवास की प्रतिक्रिया: इस पूरे मामले पर राजनिवास ने बयान जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री आतिशी को 6 फ्लैग स्टाफ रोड का बंगला अभी तक आवंटित नहीं किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि आतिशी ने जबरदस्ती वहां अपना सामान रखवा लिया, जबकि उनका आधिकारिक आवास अभी भी मथुरा रोड स्थित बंगला नंबर एबी-17 है।
- मुख्यमंत्री कार्यालय का बयान: मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि 6 अक्टूबर को पीडब्ल्यूडी ने मुख्यमंत्री आतिशी को सिविल लाइंस के 6 फ्लैग स्टाफ रोड बंगले की चाबी सौंप दी थी। कार्यालय ने यह भी कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में सभी नियमों और प्रोटोकॉल का पालन किया गया है और कोई अनियमितता नहीं हुई है।
बंगला आवंटन और उसके खाली होने से जुड़े इस विवाद ने दिल्ली की राजनीति में गर्माहट पैदा कर दी है। हालांकि, अब पीडब्ल्यूडी द्वारा आतिशी को औपचारिक रूप से बंगला आवंटित किए जाने के बाद यह विवाद समाप्त होता दिख रहा है। लेकिन इस मामले ने राजनीतिक हलकों में काफी हलचल मचाई है, जिसमें प्रशासनिक प्रक्रियाओं और राजनीतिक विरोधाभासों को लेकर कई सवाल उठे हैं।