करौंदिया में गुणवत्ता विहीन बना दिया पंचायत भवन, निर्माण कार्यो में भारी गड़बड़ी, जनपद के अधिकारी अंजान

ब्यूरो रिपोर्ट सिंगरौली।

सिंगरौली/ मध्य प्रदेश। जनपद पंचायत क्षेत्र चितरंगी के ग्राम पंचायत करौंदिया में पिछले पॉच साल के दौरान निर्माण कार्यो में व्यापक गड़बड़ी एवं गुणवत्ता विहीन कार्य कराये जाने के आरोप पंचायत के सरपंच-सचिव एवं उपयंत्री पर लगाया जा रहा है। वही पंचायत भवन का कार्य भी अधूरा पड़ा हुआ है।

दरअसल जनपद पंचायत चितरंगी के ग्राम पंचायत करौंदिया में व्यापक पैमाने पर सरपंच एवं सचिव पर भ्रष्टाचार किये जाने के आरोप लगाये जा रहे हैं। कई ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत भवन का कार्य कई वर्षो से चल रहा है। लेकिन अभी तक कार्य पूर्ण नही कराया जा सकता है। वही पिपड़खड़ सहित अन्य स्थानों पर आंगनवाड़ी भवन गुणवत्ता विहीन निर्माणाधीन है। इतना ही नही सामुदायिक स्वच्छता परिसर का निर्माण भी पॉच लाख रूपये के अधिक लागत से करीब तीन साल पूर्व निर्माण कार्य कराया गया था। आरोप है कि स्वच्छता परिसर का निर्माण ऐसे सुनसान जगह पर कराया है। जहां किसी का आना-जाना नही होता है। यहां तक की पालतू मवेशी भी नही जाते। सुनसान जगह पर स्वच्छता परिसर का निर्माण कराये जाने के बाद ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों पर ग्रामीणों ने कमिशनखोरी कर राशि की बंदरबांट करने का आरोप लगाया है। इतना ही नही लाखों रूपये से निर्मित पीसीसी सड़के भी ध्वत हो चुकी हैं। यह भी आरोप है कि मैरिहवा एवं बेल्दरा तालाब का निर्माण कार्य अधूरा है। इसी तरह खरखौली आंगनवाड़ी भवन निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी की गई। ग्रामीणों ने उक्त पंचायत में निर्माण कार्यो की जांच कराये जाने की मांग कलेक्टर से की है।

शिकायतों के प्रति गंभीर नही है जंप का अमला:- करौंदिया ग्राम पंचायत के कई ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम पंचायत में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। कई कार्य निर्माणाधीन है और चेक डेम, आंगनवाड़ी भवन, पंचायत भवन, गुणवत्ता विहीन कार्य कराये गये हैं। इसकी शिकायत जनपद से लेकर जिला पंचायत तक की गई है। लेकिन उक्त विभाग के अधिकारी शिकायत पत्र को रद्दी टोकरी में फेक दे रहे हैं या फिर शिकायत पत्रों को तिजोरी के फाईलों के पन्नी में डालकर शिकायतकर्ताओं को ही गुमराह करने में जुट जाते हैं। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि उक्त गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य उपयंत्री के सांठगांठ से हुआ है। भले ही पूरा मूल्यांकन नही हुआ। लेकिन पंचायत के पदाधिकारियों को लिखित तौर पर अल्टीमेटम या नोटिस नही दी गई। इसी पर संदेह उठता है।

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