अब बिका हुआ सामान भी लौटाया जा सकेगा! सरकार का बड़ा फैसला!!

अक्सर शॉपिंग करते समय आपने कई दुकानों पर एक नोटिस देखा होगा जिसमें लिखा होता है, “बिका हुआ सामान वापस नहीं किया जाएगा।” यह संदेश ग्राहकों के अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। ग्राहकों को उनके खरीदे गए उत्पादों को वापस करने का अधिकार है, यदि वे उनसे संतुष्ट नहीं हैं या यदि वे उत्पाद किसी कारणवश उनकी आवश्यकताओं से मेल नहीं खाते। इस अधिकार का सम्मान न करना एक प्रकार से उपभोक्ता के अधिकारों का हनन है। हाल ही में, गुजरात सरकार ने इस मुद्दे पर एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा है कि किसी भी ग्राहक को खरीदारी के बाद उत्पाद को वापस करने का अधिकार है, बशर्ते वह उस उत्पाद को उसी अवस्था में लौटा रहा हो, जिस अवस्था में उसने उसे खरीदा था।

गुजरात सरकार का आदेश

गुजरात सरकार के इस सर्कुलर के अनुसार, यदि कोई दुकानदार बेचे गए उत्पाद को वापस लेने से इंकार करता है, तो उपभोक्ता के पास कानूनी कार्यवाही का अधिकार है। सर्कुलर में साफ किया गया है कि ग्राहक के पास उस उत्पाद को लौटाने का अधिकार है जिसे उसने खरीदा है, और दुकानदार इसे अस्वीकार नहीं कर सकता। यदि दुकानदार ऐसा करता है, तो ग्राहक उस दुकानदार के खिलाफ उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज कर सकता है। दोषी पाए जाने पर दुकानदार पर जुर्माना लगाया जा सकता है, और कुछ मामलों में सजा का भी प्रावधान है।

राज्य में इस तरह की नीति के खिलाफ कई मामले सामने आ चुके हैं। गुजरात की उपभोक्ता अदालतों में बेचे गए सामान की वापसी से संबंधित लगभग 70 मामले लंबित हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन एक गंभीर समस्या है, और इस पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

एक वास्तविक उदाहरण

अहमदाबाद में एक मामला सामने आया जब एक महिला ने अपने पति के लिए 16 हजार रुपये की एक महंगी घड़ी खरीदी। जब उसके पति ने घड़ी को पहना, तो उसकी बेल्ट का आकार उनकी कलाई के लिए छोटा था। महिला ने घड़ी को वापस करने की कोशिश की, लेकिन शोरूम के मालिक ने बिल में लिखी हुई शर्त, “एक बार बेची गई घड़ी वापस नहीं ली जाएगी,” का हवाला देकर घड़ी वापस लेने से इंकार कर दिया। इसके बाद, महिला ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कराई। यह घटना उपभोक्ताओं के अधिकारों की अनदेखी का एक उदाहरण है, जिसमें ग्राहकों के साथ न्याय नहीं हो पाता।

उपभोक्ता अधिकार और कानून

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई खरीदी गई वस्तु ग्राहक की जरूरतों के अनुकूल नहीं होती है या उसमें कोई खामी है, तो ग्राहक को उसे वापस करने का पूरा अधिकार है। भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019, उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें अपने अधिकारों का उल्लंघन सहन नहीं करना पड़े। इस अधिनियम के तहत ग्राहकों के पास निम्नलिखित अधिकार हैं:

  • दोषपूर्ण सामान को बदलने का अधिकार: यदि किसी सामान में कोई कमी पाई जाती है, तो ग्राहक को उस सामान को बदलने का अधिकार है।
  • पूरी राशि की वापसी का अधिकार: यदि ग्राहक दोषपूर्ण सामान को लौटाता है, तो दुकानदार को सामान की पूरी कीमत ग्राहक को लौटानी होगी।
  • क्षतिपूर्ति का अधिकार: यदि खरीदे गए सामान से ग्राहक को किसी प्रकार की हानि होती है, तो ग्राहक को मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार है। यह मुआवजा उसके शारीरिक या आर्थिक नुकसान के लिए हो सकता है।

उपभोक्ता कहां कर सकते हैं शिकायत?

यदि दुकानदार बेची गई वस्तु को वापस लेने से इंकार करता है, तो उपभोक्ता जिला उपभोक्ता फोरम, राज्य उपभोक्ता आयोग, या राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा, उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक और सहायता प्रदान करने के लिए कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और हेल्पलाइन स्थापित किए हैं। उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर या राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नंबर 1800-11-4000 पर कॉल करके भी शिकायत दर्ज की जा सकती है। यह हेल्पलाइन उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और उन्हें न्याय प्राप्त करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी प्रदान करती है।

गुजरात सरकार के इस सर्कुलर के बाद उपभोक्ता अपने अधिकारों को लेकर अधिक जागरूक हो सकते हैं। इस प्रकार के नियम ग्राहकों के हित में हैं और उन पर अमल करने से व्यापारी और उपभोक्ता दोनों के बीच विश्वास बढ़ेगा।

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