संघर्ष और सफलता का अनूठा संगम। अवश्य पढ़िए कवि विजय कुमार कोसले की एक शानदार प्रेरणात्मक कविता शीर्षक “संघर्ष करो”

… संघर्ष और सफलता का अनूठा संगम। अवश्य पढ़िए कवि विजय कुमार कोसले की एक शानदार प्रेरणात्मक कविता शीर्षक “संघर्ष करो”।

    *संघर्ष करो* 

हे जगत के वीर संतति
संघर्ष करो हरदम,
लहरायेंगे ज़रूर एक दिन
खुशियों का परचम।

संघर्ष सफलता की कुंजी है
हार कभी न माने,
अवश्य होंगे सफल एक दिन
मन में इतना ठाने।

आयें जीवन में जितने चाहे
निराशा के अंधकार,
धैर्य रख कोशिश न छोड़ें
होंगे सपने साकार।

हो जाते हल संघर्षों से
बड़े बड़े मुश्किल,
जल्द नहीं पर देर से सही
मिलती है मंजिल।

मंदिर मस्जिद जाकर जितनी
मर्जी करें विनय,
संघर्ष किए बिन कोई यहां
होते नहीं विजय।

खून-पसीने कड़ी-मेहनत से
कर लेते जो प्रीत,
बाधा-अड़चन जीत-हार सब
बनते उनके मित।

जो डटकर कठिनाई में भी
करते हैं संघर्ष,
उनके जीवन निश्चित ही
आते हैं उत्कर्ष।

लेखक/कवि,
विजय कुमार कोसले
नाचनपाली, सारंगढ़,
छत्तीसगढ़ ।

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