डायबिटीज के इन खतरनाक लक्षणों को न करें नजरअंदाज – खासकर पैरों में दिखने वाले संकेत!

डायबिटीज आज के समय में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है, जिसका असर न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है। इसके बढ़ते प्रभाव के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल 14 नवंबर को ‘विश्व मधुमेह दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है लोगों को डायबिटीज के कारण, लक्षण, और प्रबंधन के बारे में जागरूक करना ताकि वे इस बीमारी से खुद को सुरक्षित रख सकें।

डायबिटीज तब होती है जब शरीर में इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है, या फिर शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पातीं। इंसुलिन एक महत्वपूर्ण हार्मोन है जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है। जब इंसुलिन का उत्पादन या उपयोग सही तरीके से नहीं होता, तो खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। यह बढ़ा हुआ शुगर लेवल न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है, क्योंकि इससे शरीर के विभिन्न अंग धीरे-धीरे प्रभावित होते हैं।

डायबिटीज के कारण और इसके खतरे

डायबिटीज का सबसे आम प्रकार टाइप-2 डायबिटीज है, जो अक्सर खराब जीवनशैली, असंतुलित आहार, और शारीरिक गतिविधि की कमी से संबंधित होता है। दूसरी ओर, टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून समस्या है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं पर हमला करती है।

डायबिटीज से पीड़ित लोगों में निम्नलिखित जटिलताओं का खतरा होता है:

  1. डायबिटिक न्यूरोपैथी: इसमें नसों को नुकसान पहुंचता है, खासकर पैरों में, जिससे व्यक्ति को झनझनाहट, सुन्नता, और पैरों में टिंगलिंग जैसी समस्या हो सकती है।
  2. डायबिटिक रेटिनोपैथी: यह समस्या आंखों की नसों को प्रभावित करती है और यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह अंधेपन का कारण भी बन सकती है।
  3. किडनी डिजीज: डायबिटीज के कारण किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे किडनी की कार्यक्षमता घट सकती है, और इसके गंभीर मामलों में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।
  4. हृदय रोग: डायबिटीज हृदय पर भी गहरा प्रभाव डालता है। यह रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल स्तर और रक्त वाहिकाओं पर असर डालकर हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकता है।
  5. गॉल ब्लैडर और अन्य समस्याएं: डायबिटीज के कारण पाचन तंत्र और गॉल ब्लैडर से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं, जिससे व्यक्ति का संपूर्ण स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

इसके अलावा, डायबिटीज से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। लंबे समय तक अनियंत्रित ब्लड शुगर लेवल रहने से व्यक्ति को तनाव, एंग्जायटी और कमजोर इम्यूनिटी की समस्या हो सकती है।

डायबिटीज के संकेत पैरों में भी देखे जा सकते हैं

डायबिटीज के कुछ लक्षण सामान्य रूप से शरीर में दिखते हैं जैसे कि बार-बार प्यास लगना, थकान, और बार-बार पेशाब आना। लेकिन इसके कुछ खास संकेत पैरों में भी दिखाई देते हैं, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. मनीष पेंडसे के अनुसार, डायबिटीज से प्रभावित लोगों में पैरों की त्वचा का रंग बदल सकता है। ब्लड सर्कुलेशन की कमी के कारण पैरों में सुन्नता, झनझनाहट, या टिंगलिंग जैसी समस्याएं होती हैं। जब नसों में डैमेज होने लगता है, तो पैरों में चोट या घाव का अहसास नहीं होता, जिससे संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।

डायबिटीज के कारण पैरों की त्वचा रूखी हो जाती है, जिससे पैर अधिक फटने लगते हैं। नर्व डैमेज के कारण पैरों तक पर्याप्त ब्लड फ्लो नहीं पहुंचता, जिससे फंगल इन्फेक्शन, जैसे एथलीट फुट का खतरा बढ़ता है। यदि समय पर इन लक्षणों का इलाज नहीं किया जाता, तो यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकते हैं, जैसे कि अल्सर या यहां तक कि पैर के किसी हिस्से को हटाने की नौबत आ सकती है।

डायबिटीज में पैरों की देखभाल कैसे करें

डायबिटीज के मरीजों को पैरों की देखभाल पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यहां कुछ आवश्यक सुझाव दिए गए हैं:

  1. पैरों की नियमित जांच करें: रोजाना पैरों की जांच करें, ताकि किसी भी चोट, घाव, या सूजन का समय पर पता लगाया जा सके।
  2. सही जूते पहनें: पैरों की सुरक्षा के लिए अच्छे जूते पहनें जो आरामदायक हों और पैरों को पर्याप्त सहारा दें।
  3. पैरों को साफ रखें: पैरों को अच्छी तरह से धोएं और उन्हें सूखा रखें ताकि फंगल इन्फेक्शन का खतरा कम हो।
  4. मॉइस्चराइजर का उपयोग करें: पैरों को रूखेपन से बचाने के लिए मॉइस्चराइजर लगाएं, लेकिन उंगलियों के बीच में लगाने से बचें।
  5. डॉक्टर से नियमित जांच कराएं: यदि पैरों में किसी प्रकार की असामान्यता दिखे, जैसे कि रंग में बदलाव या झनझनाहट, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

जीवनशैली में बदलाव

डायबिटीज का प्रभावी प्रबंधन करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण है। रोजाना व्यायाम करना, संतुलित आहार लेना, सही वजन बनाए रखना, और ब्लड शुगर की नियमित जांच करना जरूरी है। इसके अलावा, तनाव को कम करने के लिए योग, मेडिटेशन, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य तकनीकों का सहारा लिया जा सकता है।

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसका उचित प्रबंधन आवश्यक है। इसके प्रति जागरूक रहकर और लक्षणों पर समय पर ध्यान देकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। डायबिटीज से बचाव के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित आहार, शारीरिक सक्रियता और तनाव प्रबंधन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना अत्यंत आवश्यक है।

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