दिमाग को झकझोरने वाले सवाल जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगे!
धनेश पासवान, न्यूज़लाइन नेटवर्क :
हम सभी के मन में कभी न कभी कुछ सवाल उठते हैं जो सीधे-सीधे हमारे समाज और राजनीति की जड़ों तक पहुंचते हैं। एक शाम की चाय के दौरान ऐसे ही कुछ सवालों ने मेरा ध्यान खींचा। ये सवाल न केवल सोचने पर मजबूर करते हैं, बल्कि गहरी पड़ताल की मांग भी करते हैं। आइए इन सवालों पर गौर करें:
- सैफई महोत्सव का अचानक अंत क्यों?
उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद, अखिलेश यादव ने सैफई महोत्सव आयोजित करना क्यों बंद कर दिया? क्या सत्ता से जुड़ी रसूख के बिना यह संभव नहीं था? - मायावती के जन्मदिन की चमक फीकी क्यों पड़ी?
बसपा सरकार के जाने के बाद, मायावती के जन्मदिन पर हीरों, नोटों और मुकुटों की भव्यता क्यों गायब हो गई? - योगी सरकार में बाहुबलियों का अंत?
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, और आजम खान जैसे बाहुबली क्यों राजनीति से गायब हो गए? - चिदंबरम और उनकी 6 करोड़ की गोभी?
मोदी सरकार के आने के बाद, पी. चिदंबरम अपने बंगले के गमलों में करोड़ों की गोभी उगाने में असमर्थ क्यों हो गए? - सुप्रिया सुले की 670 करोड़ की फसल का रहस्य?
अब सुप्रिया सुले अपनी जमीन से करोड़ों की फसल क्यों नहीं उगा पा रही हैं? - हरियाणा में वाड्रा की जमीन की खरीदारी बंद क्यों?
हरियाणा में कांग्रेस सरकार जाने के बाद, रोबर्ट वाड्रा ने वहां कोई नई जमीन क्यों नहीं खरीदी? - अपराधियों की नई पीढ़ी कहां है?
कांग्रेस के शासन के बाद मुंबई में हाजी मस्तान, करीम लाला, और दाऊद इब्राहिम जैसे माफिया क्यों पैदा नहीं हो रहे? - प्रियंका गांधी और पेंटिंग का बाजार?
प्रियंका गांधी ने यस बैंक के मालिक राणा कपूर को ढाई करोड़ की पेंटिंग बेचने के बाद फिर कोई पेंटिंग क्यों नहीं बेची? - ए.के. एंटनी की पत्नी की कला पर विराम?
ए.के. एंटनी ने अपनी पत्नी की 28 करोड़ की पेंटिंग बेचने के बाद उनसे कोई नई पेंटिंग क्यों नहीं बनवाई? - सोनिया गांधी की “अज्ञात” बीमारी का अंत?
यूपीए शासनकाल में सोनिया गांधी हर छह महीने में अपनी “अज्ञात” बीमारी का इलाज कराने विदेश जाती थीं। सत्ता परिवर्तन के बाद उनकी यह बीमारी अचानक कैसे ठीक हो गई? और उनके साथ जाने वाले बड़े-बड़े ट्रंक अब कहां हैं?
सवाल गंभीर हैं!
यह सवाल सत्ता और समाज के संबंधों पर रोशनी डालते हैं। चाय की अगली चुस्की के साथ इन पर जरूर विचार करें।
क्योंकि, यह सिर्फ सवाल नहीं, हमारे समय की हकीकतें हैं।