
राममुरारी शुक्ला, न्यूज़लाइन नेटवर्क, फर्रुखाबाद :
जनपद फर्रुखाबाद में आवारा पशुओं का कहर जारी है।किसान खून के आंसू रो रहे है।किसान खेतों में ही अपनी रातें गुजार रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारी मौन बैठे हुए हैं।जनप्रतिनिधि भी खामोश बैठे हुए हैं।आवारा पशुओं के कहर से जिले के अधिकांश किसान बर्बाद हो रहे हैं।किसान खून पसीने से फसल तैयार करता है जिसको रात में आवारा पशु देखते-देखते ही चौपट कर जाते हैं।किसान पूरी रात फसल की रखवाली करते हैं लेकिन अब कोहरे में आवारा पशु भी दिखाई नहीं पड़ते हैं।कड़ाके की ठंड के कारण किसान सही ढंग से फसल की रखवाली नहीं कर पा रहे हैं।कोहरे में टार्च की रोशनी भी फेल हो रही है।जिले के सभी जनप्रतिनिधियों एवं भाजपा नेताओं को किसानों की इस समस्या की पूरी जानकारी है लेकिन वह इस समस्या के समाधान की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।प्रदेश स्तर के जिम्मेदार मंत्री एवं जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी आए दिन आवारा पशुओं की रोकथाम की हवाई बयान बाजी करते हैं।आवारा पशुओं को पकड़ने के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।जनपद फर्रुखाबाद के सभी ग्रामीण इलाकों में आवारा पशुओं का कहर जारी है। लगभग सभी गाँवो में गली एवं तिराहे व चौराहों पर आवारा पशुओं का झुंड देखा जाता है।जिससे शहर के दुकानदार एवं राहगीर काफी परेशान है।एक हवाई नेता ने अपना प्रचार करने की आड़ में किसान दिवस की शुभकामनाएं दी हैं तथा नव वर्ष के उपलक्ष्य पर समस्त अधिकारी व किसान नेता किसानों को नववर्ष की शुभकामनाएं देंगे।ऐसी शुभकामनाएं पीड़ित किसानों के जले पर नमक छिड़कने के समान होंगी।भाजपा सरकार किसानों की दोगुनी आमदनी करने की बात करती है यदि सरकार आवारा पशुओं पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दे तो किसानों की आमदनी स्वत ही बढ़ जाएगी।महंगी बिकने वाली सब्जियां सस्ती बिकने लगेगी।खेतों में कटीले तार व खंबे लगाने की लागत बंद हो जाएगी।किसान चैन की नींद में घर में सो सकता है।लेकिन भाजपा सरकार में यह सपना सपना ही बना रहेगा।जनपद फर्रुखाबाद के अमृतपुर तहसील क्षेत्र में आवारा पशुओं का तांडव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। वही इस वक्त गेहूं,आलू की फसल को भी बर्बाद करने में आवारा पशु अपनी कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
गरीब किसान दिन रात गुजर बसर अपनी नई नवेली फसल को रखाने में लगे हुए हैं। इतना ही नहीं कई एक किसान आवारा पशुओं की चपेट में आने से अपनी जान गवा चुके हैं।खेत पर रखवारी कर रहे किसानों से पूछा तो किसानों का कहना है कि हम लोगों को तो दिन-रात खेत पर ही रहना पड़ रहा है और मेरी आवारा पशुओं ने नींद हराम कर दी है।मैं तो दिन रात अपने गेहूं रखाने में व्यस्त रहता हूं।घर पर जाने का मुझ लोगों को कोई समय नहीं मिलता। जिससे मैं अपने बच्चों के पास बैठकर बच्चों का दुख -दर्द सुन सकूं।मेरी तो नींद आवारा पशुओं ने उड़ा कर रख दी है।रात में अलाव जलाकर पशुओं को भागते रहते है। सरकार तो कहती है कि पशु हमने पकड़वा लिए हैं लेकिन यहां के अधिकारी सरकार के आदेशों को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं ना तो अभी आवारा पशु पकड़े गए।ना हम लोगों को अभी आवारा पशुओं से निजात मिल है।अधिकारियों के कागजादों में तो आवारा पशु पड़ जाते हैं।धरातल पर पशु तांडव मचाते नजर आ रहे हैं।