
न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट
सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश। दुद्धी गिले शिकवे भूल कर सतरंगी रंगों से शराबोर उल्लास उमंग और म्यूजिक मस्ती की धूम के बीच देर शाम गुरुवार को घोड़े पर सवार दूल्हा और सहबाला के साथ बुलडोजर पर सवार चिल्लम गांजा भाँग सोटते बराती दान दहेज रूपी दानव का प्रतिकात्मक टूटा फ्रिज, कूलर बक्सा, टीवी व अलमारी लेकर हिन्दी फिल्मी गीतों पर अड़भंगी झूमते गाते निकले तो त्यौहार मानो शबाब पर आ गया। सनातन परंपराओं में त्यौहारों का अग्रणी भूमिका है बीन त्यौहारों के हिन्दू धर्म की मानों परिकल्पना ही नहीं की जा सकती। होली के बारात में जय हिंद क्लब के अध्यक्ष रंजीत कुमार अग्रहरी उर्फ रंजू साथ में गोपाल प्रसाद अग्रहरी, रंजू सोनी, सुमित सोनी, भोला सोनी, सतीश कुमार सोनी आदि के शानदार संयोजन में ऐतिहासिक होली की बारात में चार चांद लगाने के लिए काशी के मसाने की होली खेलने दिगंबर का रूप धरे मशान खोपड़ी संग दैत्य, दानव, भूत, पिशाच संग बाराती स्वयं भोलेनाथ का स्वरूप धरे मसाने का राख, अबीर, गुलाल, उड़ाते शिव तांडव नृत्य का अभिनय अग्नि के बीच में किया तो अचंभित जनमानस हैरान होकर आयोजक मंडल को खूब सराहा।
ऐसा महसूस हो रहा था कि दिगंबर स्वयं मसाने की होली खेलने दुद्धी की पावन धरा पर अवतरित हुए हैं। जैसे ही नगर भ्रमण उपरांत संकट मोचन मंदिर पर होली के अड़भंगीयों की बारात पहुंचा तो मंदिर पर चल रहे फाग गीतों की लोक गायन जिसका संयोजन रामलीला कमेटी दुद्धी द्वारा किया गया पर पहुंचते ही रामलीला कमेटी संग होली के बाराती ने आतिशबाजी पटाखे के बीच तिराहे पर जमकर अबीर गुलाल उड़ाया जिससे सड़के लाल, गुलाबी, हरा, नीला, पीला आदि रंगों से पट गया। चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था का कमान पुलिस क्षेत्रा अधिकारी प्रदीप सिंह चंदेल प्रभारी निरीक्षक कोतवाली दुद्धी मनोज कुमार सिंह, कस्बा प्रभारी दुद्धी श्याम जी यादव व कई थानो के उपनिरीक्षकों सहित पुलिस एवं पीएसी बल के जवान चप्पे चप्पे पर तैनात देर रात तक रहे। रात्रि लगभग 11:15 पर वैदिक मंत्र उच्चारण के बीच पूज्य पुरोहित द्वारा अग्नि प्रज्वलित गांव के प्रकृति के उपासक पूज्य बैगा द्वारा गाड़े गए सेमर के लकड़ी सम्मत में अग्नि प्रज्वलित जैसे ही हुई वैसे घर से परंपरा अनुसार उबटन, गोइठा, सरसों, गेहूं, चने की बाली बम पटाखों की आवाज से जल रही होलका जिसे भक्त प्रहलाद को लेकर अग्नि की चिता में होलिका बैठी थी जिसे स्वयं श्रीहरि नारायण नें भक्त प्रहलाद की होलिका से रक्षा किया था का परिदृश्य जीवंत हो उठा।
सत्य पर सत्य का विजय के साथ लोगो नें उपटन, गोइथा सरसों चना गेहूं की बाली अग्नि कों भेंट की कई सनातनीयों नें गेहूं और चने की बाली को घर प्रसाद स्वरूप लेकर गए और एक दूसरे कों प्रसाद खिलाकर होली की बधाई दीं। ज्ञात कराना हैं की विभिन्न मान्यता अनुसार होली की शुरुआत अखंड भारत का हिस्सा रहे मुल्तान जो पाकिस्तान में है का ब्रह्मांदमुनि मंदिर जहाँ नरसिंह भगवान का मंदिर जिसे आतताइयों ने खंडहर में तोड़ तब्दील कर दिया है जिसे सुरक्षित करने का पाकिस्तान के कोर्ट ने संरक्षित करने का निर्देश दिया पर आज भी होलिका जलाई जाति हैं। दुद्धी होलिका दहन उपरांत जोगीरा सा रा रा रा, बुरा ना मानो होली है आदि उक्तियों से होली के त्यौहार का रंग चढ़ा।