न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट

सिंगरौली/ मध्य प्रदेश। सिंगरौली जिला जिसे भारत की “ऊर्जा राजधानी” के रूप में जाना जाता है। कोयला खनन और तापीय विद्युत संयंत्रों की वजह से पिछले कई वर्षों से प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। यहाँ वायु, जल और मिट्टी का प्रदूषण स्तर चिंताजनक स्थिति में पहुँच चुका है।
प्रदूषण की गंभीर समस्या का जिम्मेदार कौन:- सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रिय शाखा सिंगरौली में एक संविदा कर्मी पदस्थ है, जो संविदा कर्मी होने के बावजूद क्षेत्रीय अधिकारी का कारखास बना हुआ है। सूत्रों का कहना है कि क्षेत्रीय अधिकारी उक्त संविदा कर्मी को फील्ड विजीट तथा उद्योगों के निरीक्षण में साथ ले कर जाया करते है। जबकि नियमतः यह गलत है। उक्त संविदा कर्मी के इशारे पर उद्योगो को स्थापना व संचालन की अनुज्ञा पत्र जारी किया जाता है।
किसी का नहीं उठाते फोन:- सूत्र यह भी बताते हैं कि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सिंगरौली में पदस्थ एक संविदा कर्मी ही सारा अवैध लेन-देन का काम करता है। जब कोई व्यक्ति प्रदूषण से संबंधित शिकायत के लिए क्षेत्रीय अधिकारी या फिर उनके कारखास को फोन लगाते है, तो यह लोग किसी का भी कॉल रिसीव नहीं करते हैं। उपरोक्त अधिकारी व कर्मचारी मध्य प्रदेश नियंत्रण बोर्ड सिंगरौली को अपना निजी कार्यालय मानकर अपने मन मुताबिक काम कर रहे हैं। उपरोक्त जोड़ी के मिली भगत से सिंगरौली जिले में ऐसे कई उद्योग है जो बिना संचालन की अनुमति के उत्पादन कर रहे हैं व प्रदूषण फैला रहे हैं।
वर्तमान स्थिति:- हाल के आँकड़ों के अनुसार, नवंबर 2024 में सिंगरौली का AQI 300 से अधिक दर्ज किया गया था, जो दिल्ली जैसे महानगरों के प्रदूषण स्तर के बराबर है। जिस कारण अक्सर सिंगरौली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर निष्क्रियता के आरोप लगते रहते हैं। कहीं ना कहीं इसके जिम्मेदार मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सिंगरौली के आला अधिकारी हैं।