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रिपोर्ट- मोनीश ज़ीशान
न्यूज़लाइन नेटवर्क वैशाली (बिहार)
वैशाली प्रखण्ड के वैशाली पंचायत अंतर्गत वार्ड नंबर 04 के अज़ीम शख्सियत मरहुम चूल्हाई मियाँ के दूसरे औलाद मास्टर अब्दुल हफ़ीज़ साहब बहुत ही मृदुभाषी,व्यक्तित्व के धनी,इंसानियत की मिसाल थे । इन्होंने 04 नवंबर को 11 बजे रात के करीब अपनी आखिरी साँस ली और दुनिया से रुखसत हो गये । इनका अकस्मात जाना वैशाली पंचायत ही नहीं पूरे प्रखण्ड स्तर पर एक बहुत बड़ी क्षति है । परिवार जनों का रो-रो कर बुरा हाल है इनके आँसू रोके नहीं रुक रहा है । परिवार से बुज़ुर्ग का साया उठ गया घर के साथ-साथ पूरे गाँव में मातम का माहौल है। किसी को भरोसा नहीं हो रहा की मास्टर हफ़ीज़ साहब अब उनके बीच नहीं रहे वार्ड नंबर 04 के एकलौते मास्टर थे अब्दुल हफ़ीज़ साहब । इनकी ये खाशियत थी की ये जुमा के दिन सबसे पहले 10 बजे के करीब ही मस्जिद में पहुँच जाया करते थे और इबादत किया करते थे। इनका रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया और लम्बे वक़्त तक शायद ही कोई तोड़ पाए । उन्होंने उम्र का लगभग 70 साल का पड़ाव पार कर लिया था और लगभग 03-04 वर्षों से गुर्दे में खराबी की समस्या से जूझ रहे थे। प्रत्येक सप्ताह के रविवार को अपना डायलीसिस कराने मुज़फ्फरपुर जाया करते थे । वे सेहत से भी काफी कमज़ोर हो गये थे । प्रत्येक दिन की भांति शनिवार की रात को भी उन्होंने खाना खाया सब कुछ ठीक था लेकिन जब सोए तो सोये रह गये । इनके कुल 06 औलादों में 02 बेटी और 04 बेटे तकि अहमद उर्फ़ रमज़ान,अब्दुल खालिक,अब्दुल सालिक एवं अब्दुल मालिक है । सभी बच्चों में उनका तीसरा पुत्र ई.अब्दुल सालिक सबसे ज़्यादा उनकी सेवा किया करता था । उसने अपनी नौकरी का त्याग पिता के सेवा के लिए कर दिया और घर पर रहकर उनकी सेवा किया करता था । उनके जनाज़े में बहुत बड़ा हुज़ूम उमड़ा वैशाली,कम्मन छपरा,बेनीपुर,भगवतपुर और कई गाँव के सैकड़ों लोग शामिल हुए कम्मन छपरा में राजकीय प्राथमिक विद्यालय उर्दू में 05 नवंबर रविवार को करीब शाम के 04 बजे जनाज़े की नमाज़ पढ़ी गई और चौमुखी महादेव मंदिर के समीप कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्दे खाक कर दिया गया ।
Masha Allah bahoot khub