“केजरीवाल का चौंकाने वाला फैसला: 2 दिन में देंगे इस्तीफा, नवंबर में होंगे नए चुनाव!”

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार, 15 सितंबर 2024 को एक बेहद अहम घोषणा की। उन्होंने कहा कि वे अगले दो दिनों के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला कर चुके हैं। इसके साथ ही, उन्होंने मांग की कि दिल्ली में चुनाव जल्द से जल्द, यानी नवंबर 2024 में आयोजित किए जाएं, ताकि जनता अपने नए नेता का चुनाव कर सके।

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा का ऐलान

पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल ने भावुक होते हुए कहा, “मैंने तय किया है कि अगले दो दिनों में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। मैं यह कदम इसलिए उठा रहा हूं क्योंकि मुझे विश्वास है कि जनता का फैसला ही सर्वोपरि है। जब तक जनता अपने मत से अपना निर्णय नहीं देती, तब तक मैं इस कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। मैं हर गली, हर मोहल्ले में जाऊंगा और जनता से सीधा संवाद करूंगा। जब तक मुझे जनता का समर्थन नहीं मिलता, तब तक मैं मुख्यमंत्री पद नहीं संभालूंगा।”

केजरीवाल ने अपने भाषण में ईमानदारी और नैतिकता पर जोर देते हुए कहा, “मेरे पास इज्जत और ईमानदारी के सिवा कुछ नहीं है। मेरा बैंक अकाउंट खाली है, और हमारी पार्टी के खाते भी खाली हैं। मैंने कभी किसी चीज की लालसा नहीं की, और एक पल में इस पद को छोड़ सकता हूं। मेरे लिए सत्ता का कोई आकर्षण नहीं है, मैं केवल देश और जनता की सेवा के लिए इस पद पर हूं।”

चुनाव कराने की मांग

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपने संबोधन में यह भी मांग की कि दिल्ली में चुनाव नवंबर 2024 में आयोजित किए जाएं। यह मांग उन्होंने इस आधार पर की कि जनता का फैसला जल्द से जल्द आना चाहिए। उन्होंने कहा, “दिल्ली में चुनाव फरवरी 2025 में होने वाले हैं, लेकिन मैं मांग करता हूं कि इसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ नवंबर 2024 में ही कराया जाए। इससे जनता को जल्द से जल्द अपना निर्णय देने का मौका मिलेगा।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चुनावों के दौरान और उसके परिणाम आने तक कोई और व्यक्ति मुख्यमंत्री का पद संभालेगा। “हमारी पार्टी में जल्द ही एक बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें तय किया जाएगा कि चुनाव होने तक कौन मुख्यमंत्री बनेगा। अगले 2-3 दिनों में विधायकों की बैठक होगी, जहां इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा,” केजरीवाल ने कहा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला

अपने बयान में केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए कुछ आदेशों का भी जिक्र किया, जिनसे सरकार के कामकाज में रुकावट आई थी। उन्होंने कहा, “कुछ लोग कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण हम कुछ खास काम नहीं कर पाएंगे। यहां तक कि उन्होंने हम पर प्रतिबंध लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पर यदि आपको मेरी ईमानदारी पर विश्वास है, तो मुझे भारी संख्या में वोट दें। मैं जनता द्वारा चुने जाने के बाद ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठूंगा।”

केजरीवाल का यह बयान उन आलोचनाओं का जवाब था, जिनमें कहा जा रहा था कि उनकी सरकार काम करने में असफल हो रही है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे उन्हें एक बार फिर से जनादेश दें ताकि वे जनता की सेवा जारी रख सकें।

देश के लिए संघर्ष जारी रहेगा

अरविंद केजरीवाल ने अपने संबोधन में इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी पार्टी देश के लिए लगातार संघर्ष करती रहेगी। उन्होंने कहा, “हम एक छोटी सी पार्टी हैं, जिसने देश की राजनीति को पूरी तरह बदल दिया है। भगवान का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहा है, और हम कठिनाइयों का सामना करते हुए भी सफल हो रहे हैं। हमारे पास बड़े दुश्मन हैं, लेकिन हमने हमेशा उनका सामना किया है। हमारी पार्टी ने कई समस्याओं पर विजय पाई है, और हम आगे भी देश के लिए लड़ते रहेंगे।”

उन्होंने जनता से समर्थन की अपील करते हुए कहा, “हमारा हौसला चट्टान जैसा मजबूत है। हमें आपके समर्थन की जरूरत है ताकि हम इस संघर्ष को आगे बढ़ा सकें और देश के लिए और भी बड़ी सफलताएं हासिल कर सकें।”

साजिशों का सामना

अरविंद केजरीवाल ने अपने जेल जाने का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक साजिश का हिस्सा था ताकि उनकी और उनकी पार्टी की हिम्मत तोड़ी जा सके। उन्होंने कहा, “मुझे जेल भेजने का उनका उद्देश्य यह था कि वे मेरी हिम्मत और पार्टी की ताकत को तोड़ सकें। उन्हें लगा कि अगर वे मुझे जेल में डाल देंगे तो हमारी पार्टी टूट जाएगी और वे दिल्ली की सत्ता पर कब्जा कर लेंगे। लेकिन उनकी साजिशें नाकाम रहीं। हमारी पार्टी पहले से भी ज्यादा मजबूत होकर उभरी है।”

केजरीवाल ने जेल से इस्तीफा न देने के अपने फैसले को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “मैंने जेल से इस्तीफा इसलिए नहीं दिया क्योंकि मैं भारत के संविधान की रक्षा करना चाहता था। मुझे यकीन था कि अगर मैंने इस्तीफा दिया तो वे अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी यह साबित कर दिया कि जेल से भी सरकार चलाई जा सकती है। यह न्यायपालिका की जीत है और संविधान की शक्ति का प्रमाण है।”

इस भाषण के माध्यम से केजरीवाल ने न केवल अपनी पार्टी के सदस्यों और समर्थकों को प्रेरित किया, बल्कि उन आलोचनाओं का भी पुरजोर जवाब दिया जो उनकी सरकार और नेतृत्व पर सवाल उठा रहे थे।

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