मेरे अरमान
सुनो प्रार्थना भगवन मेरे
कृपा इतनी बरसाओ,
राष्ट्र प्रेम में डूबे तन मन
ऐसे भाव जगा जाओ।
कर सकूं मैं जीवन भर
दिन दुखियों की सेवा,
देना ऐसी शक्ति सामर्थ्य
सदा मुझे तुम देवा।
माता-पिता हर अपनों का
नित मिले मुझे आशीष,
गुरू जन इष्ट मित्रों को भी
मै भूलूं नहीं जगदीश।
सत्य धर्म की हर राहों में
समर्पित हो तन मन,
प्रेम समर्पण भक्ति भाव से
रहे हर्षित जन जन।
धन दौलत न चाहत मेरी
है राष्ट्र प्रेम अजीज़ ,
मरूं तो मेरे शव को हो एक
कफन तिरंगा नसीब।
दिल में सबके प्रेम बढ़े
बस है मेरे अरमान,
हर घर आंगन खुशियां हो
रब दो ऐसे वरदान।
लेखक/ कवि,
विजय कुमार कोसले
नाचनपाली, लेन्ध्रा छोटे
सारंगढ़, छत्तीसगढ़।
मो.- 6267875476