
दिल्ली मार्च को लेकर किसानों का प्रदर्शन: पुलिस से टकराव और इंटरनेट सेवाओं पर रोक
शनिवार को किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत कई अन्य मांगों को लेकर दिल्ली मार्च का आह्वान किया। इस प्रदर्शन में 101 किसानों का एक जत्था हरियाणा के शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच के लिए निकला। हालांकि, शंभू बॉर्डर पर पहले से तैनात पुलिसकर्मियों ने बैरिकेडिंग कर किसानों का रास्ता रोक दिया। किसानों ने जब अवरोध हटाने की कोशिश की, तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया।
बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी
पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर किसान कई महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन अब अपने 307वें दिन में प्रवेश कर चुका है। किसानों की प्रमुख मांगों में MSP को कानूनी गारंटी देने की मांग शामिल है। किसानों ने केंद्र सरकार से बातचीत शुरू करने की मांग की है, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेता सरवन सिंह पंढेर ने सरकार के रवैये पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर किसानों की समस्याओं को अनदेखा करने और इस मुद्दे पर चुप रहने का आरोप लगाया। पंढेर ने यह भी कहा कि सरकारी एजेंसियां किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के प्रयास कर रही हैं।
फिर दिल्ली कूच की तैयारी
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर ने शनिवार, 14 दिसंबर 2024, को दोपहर के समय हरियाणा के शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करने की घोषणा की। 101 किसानों का यह जत्था सरकार के खिलाफ अपने विरोध को आगे बढ़ाने के लिए तैयार था।
हरियाणा सरकार ने किसानों के इस मार्च के मद्देनज़र अंबाला जिले के 12 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं को निलंबित कर दिया। यह रोक 17 दिसंबर तक लागू रहेगी। प्रशासन ने कहा कि यह कदम शांति और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
अंबाला में इंटरनेट सेवाएं निलंबित
अंबाला प्रशासन ने डंगडेहरी, लेहगढ़, मानकपुर, ददियाना, बड़ी घेल, छोटी घेल, ल्हारसा, कालू माजरा, देवी नगर (हीरा नगर और नरेश विहार), सद्दोपुर, सुल्तानपुर, और काकरू गांवों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं और कई एसएमएस भेजने की सुविधाओं पर रोक लगा दी। प्रशासन ने कहा कि यह कदम किसी भी प्रकार की अशांति या हिंसा को रोकने के लिए उठाया गया है।
बजरंग पुनिया का समर्थन
पहलवान और कांग्रेस किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बजरंग पुनिया ने भी किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया। शनिवार को पुनिया शंभू बॉर्डर पहुंचे और अनशन कर रहे किसानों से मुलाकात की।
बजरंग पुनिया ने कहा, “किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 18 दिनों से आमरण अनशन पर हैं, लेकिन सरकार अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही है। अन्नदाताओं के अधिकारों के लिए पूरे देश को एकजुट होना होगा। किसान पिछले 23 महीनों से MSP की गारंटी की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।”
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो 26 नवंबर से आमरण अनशन पर हैं, के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024, को हस्तक्षेप किया। कोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि वे डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्रदान करें।
किसान नेता राकेश टिकैत ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी और खनौरी बॉर्डर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की। टिकैत ने कहा कि अगर सरकार ने किसानों की मांगों को नहीं माना, तो दिल्ली को केएमपी एक्सप्रेसवे के जरिए घेरने की योजना बनाई जाएगी। इसके लिए चार लाख से अधिक ट्रैक्टरों की आवश्यकता होगी।
पिछली घटनाएं और पुलिस से झड़प
6 और 8 दिसंबर को किसानों ने बॉर्डर पार करने की कोशिश की थी, लेकिन अंबाला पुलिस ने उन्हें घग्गर पुल पर रोक दिया। पुलिस ने दावा किया कि किसानों के पास आगे बढ़ने की अनुमति नहीं है। इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच झड़प हुई, जिसमें आंसू गैस के गोले छोड़े गए।
पुलिस ने किसानों के प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए वाटर कैनन का भी उपयोग किया। किसान पिछले 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।
किसानों की मांग और सरकार की प्रतिक्रिया
किसानों की मांगें मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और कृषि से जुड़े अन्य मुद्दों पर केंद्रित हैं। हालांकि, सरकार और किसानों के बीच संवाद की कमी के कारण यह आंदोलन अभी तक हल नहीं हो पाया है।
किसानों का यह प्रदर्शन भारत के कृषि क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को लेकर हो रहा एक बड़ा संघर्ष है। सरकार और किसानों के बीच बढ़ते तनाव को समाप्त करने के लिए संवाद और पारदर्शिता आवश्यक हैं। जब तक किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, इस विरोध प्रदर्शन के और गहराने की संभावना है।