न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट
सिंगरौली/ मध्य प्रदेश। एनसीएल परियोजना जयंत, निगाही, दुद्धिचुआ, शक्तिनगर, खड़िया, बीना ककरी, झिंगुरदह, अमलोरी सहित आसपास के क्षेत्रों के एनसीएल की भूमि में अवैध कब्जे धारियों का दबदबा है। एनसीएल के अधिग्रहित भूमियों में कब्जा करने वालों पर कोई रोक-टोक नही है। लिहाजा अपराधों से जुड़े लोग भी झुंगी झोपड़ी बना कर निवास करने लगे हैं। प्रशासन के पास इसका कोई आंकड़ा नही है। दरअसल पिछलेे दिनों बरगवां थाना क्षेत्र के गोंदवाली में हरिप्रसाद प्रजापति के आवास में मकान मालिक के पुत्र समेत चार युवको की निर्मम तरीके से तीन युवको को गोली तथा एक युवक को लोहे के रॉड व गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने हत्या में शामिल आरोपियों को गिरफ्तार कर ली। वही मृतक एक सीधी में मझौली के अलावा तीन मृतक जयंत पुलिस चौकी क्षेत्र के जैतपुर निवासी थे। हत्या का कारण सरकारी जमीन से जुड़ा हुआ है। पुलिस के जांच में भी इस बात का खुलासा हुआ है।
अब सवाल उठ रहा है कि एनसीएल की जमीन पर कब्जा करने की होड़ लगी है। आलम यह है कि जो जहां से आया और खाली भूमि पर नजर पड़ी वहां पहले झोपड़ी बनाते हैं और कुछ दिन बाद उसे पक्का मकान का रूप देने लगते हैं। धीरे-धीरे वे यहां अपने नात-रिश्तेदारों, चिरपरिचितो को भी बुलाने लगते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक एनसीएल परियोजना जयंत, निगाही, अमलोरी, झिंगुरदह, दुद्धिचुआ, ब्लॉक -बी गोरबी के साथ-साथ एनटीपीसी विंध्याचल के सिम्पलेक्स कॉलोनी सहित अन्य उक्त परियोजनाओं के अब क्षेत्र की अधिग्रहित रिक्त भूमियों में अधिकांश झोपड़ियां बनाकर लोग निवास करने लगे हैं। जिनकी संख्या हजारों में है। इतनी ही नही एनसीएल परियोजना जयंत क्षेत्र के नेहरू हॉस्पिटल के नजदीक एनसीएल के भूमि में कई तरह के दुकाने भी पक्के मकानों में खुली हैं। इसपर आरोप है कि एनसीएल के सुरक्षा अमले की मिलीभगत से झोपड़ियां व मकान तने जा रहे हैं।
इस मसले को लेकर जनप्रतिनिधि भी आवाज उठाना शुरू कर दिये हैं 100 रूपये की स्टाम्प में बिकती है। सूत्रों की माने तो एनसीएल, एनटीपीसी के अधिग्रहित भूमियों के अलावा नवजीवन बिहार सेक्टर नम्बर 01 से लेकर 04 तक कि भूमियों को क्रय-विक्रय नही किया जा सकता है। किन्तु यहां ऐसे कारोबारी हैं कि 100 रूपये की स्टाम्प में उक्त भूमियों का सौदा कर बिक्री कर दे रहे हैं। चार युवको की सामूहिक हत्या की वजह एनसीएल के सरकारी भूमि से जुड़ा है। जहां आरोपी व मृतको के बीच उक्त भूमि में कब्जा को लेकर विवाद चल रहा था। अब यहां प्रबुद्धजन सवाल उठा रहे हैं कि एनसीएल की जमीन पर हो रहे बेजा कब्जा पर नियंत्रण कर कार्रवाई क्यो नही कि जा रही है। अपराध गतिविधियों से जुड़े बाहरी लोगों को भी झोपड़ी बनाकर रहने के लिए शरण मिल रही है। आखिर कार उक्त मामले में किसका संरक्षण है। प्रबुद्धजनों की मांग है कि कलेक्टर एवं एसपी इसकी गहराई से जांच कराएं।
किसी के पास नही है कोई लेखा जोखा:- जानकारी के मुताबिक एनसीएल परियोजना जयंत, निगाही, अमलोरी, शक्तिनगर, खड़िया, बीना, ककरी, झिंगुरदह, दुद्धिचुआ, ब्लॉक -बी गोरबी के साथ-साथ एनटीपीसी विंध्याचल के सिम्पलेक्स कॉलोनी सहित अन्य अवैध बस्तियों में अधिकांश शत-प्रतिशत बाहरी हैं।आरोप यह भी लग रहा है कि मजदूरी के आड़ में यहां आते हैं और झोपड़ियां बनाकर निवास करने लगते हैं। धीरे-धीरे अपने आप को वसिंदा मानते हुये योजनाओं का लाभ लेने की कवायद शुरू कर देते हैं और कई ऐसे व्यक्ति हैं जो सरकार के जन कल्याण कारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि एनसीएल व एनटीपीसी के अधिग्रहित भूमियों में बेजा कब्जा करने वालों का हिसाब किताब लेखा झोखा एनसीएल-एनटीपीसी के साथ-साथ जिला प्रशासन के पास भी नही है कि यहां कौन आकर झोपड़ी बना रहा है और उसकी पृष्टिभूमि क्या है।